राष्ट्रपति चुनाव के बहाने बीजेपी का टीएमसी पर वार, पोस्टर जारी कर ममता बनर्जी को बताया आदिवासी विरोधी

नए राष्ट्रपति के चुनाव 18 जुलाई को होने हैं। उससे पहले एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा राज्यों में जाकर अपने लिए वोट मांग रहे है। पश्चिम बंगाल बीजेपी ने पोस्टर जारी कर ममता बनर्जी आदिवासी विरोधी करार दिया है।

BJP attacked TMC on the pretext of Presidential election, released poster and told Mamata Banerjee anti-tribal
राष्ट्रपति चुनाव के लिए पोस्टर वार  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा।
  • द्रौपदी मुर्मू एनडीए की उम्मीदवार हैं।
  • विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा हैं।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को "आदिवासी समुदाय विरोधी" कहने वाले पोस्टर लगाए जा रहे हैं। पोस्टर में एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी को भी दिखाया गया है। टीएमसी ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन किया है। पोस्टर में लिखा है बीजेपी ने एक आदिवासी जन-जाति को देश का सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पदप्रार्थी के लिए मनोनित करके देश के समस्त आदिवासी जन-जाति संप्रदाय को सम्मानित किया है। यह आदिवासी संप्रदाय के लिए गर्व का विषय है। लेकिन ममता बनर्जी आदिवासी जन-जाति संप्रदाय के उम्मीदवार को समर्थन न करके अन्य प्रार्थी को समर्थन कर रही है एवं आदिवासी समाज के करीब आने में हिचकिचा रही है। यह भिन्नता था, है, एवं रहेगा। गौर हो कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होंगे। द्रौपदी मुर्मू एनडीए की उम्मीदवार हैं। जबकि विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा हैं। टीएमसी, कांग्रेस और कई विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त रूप से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है।

राष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने विभिन्न राज्यों में जाकर अपने लिए वोट मांग रहे हैं। उन्होंने पटना में कहा कि वर्तमान शासन के तहत लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली पंगू दिखती है। उन्होंने साथ ही जनता से बहुत देर हो जाने से पहले जागने का आग्रह किया। कई बार सांसद रह चुके सिन्हा ने कहा कि हर लोकतांत्रिक व्यवस्था में सीधे निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभा खुली बहस की अनुमति देती है। यही कारण है कि संसद के भीतर बोले गए शब्द न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले सभी प्रकार के शब्दों को असंसदीय करार दिया जा रहा है, इसे हम देश के लोकशाही पर एक और हमले के तौर पर देख रहे हैं। सिन्हा ने स्वीकार किया कि संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के पास कई शक्तियां नहीं हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस पद पर आसीन एक सही व्यक्ति प्रधानमंत्री को बुला सकता है और उन्हें विभिन्न मुद्दों पर सलाह दे सकता है।

द्रौपदी मुर्मू भी अपने लिए वोट मांग रही हैं। उन्होंने भोपाल में कहा कि 21 जून को मेरी उम्मीदवारी की घोषणा करने से ठीक 15 मिनट पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे फोन किया और मुझे इस बारे में सूचित किया। आप सोच सकते हैं कि मेरे साथ क्या हुआ होगा। मैंने उनसे कहा कि आपने मुझे (झारखंड का) राज्यपाल बनाया और मैं अपने कर्तव्यों को ठीक से निर्वहन कर पा रही हूं, लेकिन क्या मैं यह काम ठीक से कर पाऊंगी? उन्होंने प्रधानमंत्री के हवाले से कहा कि उन्होंने कहा कि हम सब आपके साथ हैं और आपको यह करना होगा। मुर्मू ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद जिन लोगों को यह मौका कभी नहीं मिला, जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे इस मुकाम पर पहुंचेंगे, वे बहुत खुश हैं और उन्हें बहुत सारी उम्मीदें हैं और वे इसके बाद बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री दलितों को मुख्यधारा में लाने की सोच रहे हैं और उन्हें जीवन में छोटा महसूस नहीं करना चाहिए, (इसलिए) मैंने प्रस्ताव के लिए हां कर दिया।
 

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