सुशील मोदी को बिहार से दिल्ली लाने की तैयारी, BJP ने बनाया राज्यसभा उम्मीदवार

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को बीजेपी से राज्यसभा का टिकट मिलने से उन्हें केंद्र में आगे बड़ी जिम्मेदारी मिलने के भी संकेत हैं। वो मोदी सरकार में मंत्री भी बन सकते हैं।

Sushil Modi
सुशील मोदी 
मुख्य बातें
  • बीजेपी ने बिहार से सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया
  • LJP के रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई है राज्यसभा सीट
  • बिहार में 14 दिसंबर को होना है राज्यसभा के लिए उपचुनाव

नई दिल्ली: लंबे समय तक बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी को भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें बिहार से अपना राज्यसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बीजेपी ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने बिहार में होने वाले आगामी राज्यसभा उपचुनाव 2020 के लिए एक नाम पर अपनी स्वीकृति प्रदान की है।' उम्मीदवार का नाम है- सुशील मोदी।

सुशील मोदी इस बार बिहार सरकार में शामिल नहीं हुए। पार्टी ने उन्हें एक बार फिर राज्य का उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया। इस बार बीजेपी ने 2 उपमुख्यमंत्री बनाए और दोनों नए चेहरे हैं। इसी से अंदाजा लग गया था कि पार्टी सुशील मोदी के लिए कुछ और सोच रही है। अब संभव है कि सुशील मोदी के राज्यसभा से सांसद बनने के बाद उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया जाए।  

बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने ट्वीट कर कहा, 'बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी जी को बीजेपी की तरफ से बिहार में होनेवाले राज्यसभा  उप-चुनाव  में पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

केंद्रीय मंत्री और लोकजन शक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद राज्य में राज्यसभा की एक सीट खाली हुई है। बीजेपी और जेडीयू के समर्थन से पासवान राज्यसभा पहुंचे थे और केंद्र में मंत्री बने थे। लेकिन इस बार लोजपा को ये सीट नहीं मिलती दिख रही है। बीजेपी ने इस बार अपनी उम्मीदवार उतार दिया है। राज्यसभा की एक सीट के लिए उपचुनाव 14 दिसंबर को होना है। पासवान का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 तक था। चुनाव आयोग ने कहा कि अधिसूचना 26 नवंबर को जारी की जाएगी और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 3 दिसंबर होगी। 

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा। पूरे चुनाव में एलजेपी ने बीजेपी का समर्थन किया लेकिन जेडीयू और नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर प्रचार किया। हालांकि एलजेपी को सिर्फ 1 सीट मिली, लेकिन उसने कई सीटों पर जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया।

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