सियासत में शब्दों का कोई मोल नहीं। अगर ऐसा होता गठबंधनों के चेहरे नहीं बदलते। जो जिसके साथ था वो उसके साथ होता। देश की राजनीति में वैसे तो विस्मय करने वाले तरह तरह के वाक्ये हैं। लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी एक मंच पर आए तो बड़े बड़े राजनीतिक विश्लेषक गच्चा खा गए। शिवसेना जो पहले बीजेपी की तारीफ करते नहीं थकती थी वो दुश्मन नंबर 1 बन गई। लेकिन शिवसेना को अब अहसास हो चुका है कि बीजेपी की छत्रछाया उसके लिए वरदान नहीं अभिशाप था।
2 साल पहले बीजेपी के विभाजनकारी होने का हुआ अहसास
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भारतीय जनता पार्टी के साथ अपनी पार्टी के मौजूदा रिश्तों की ओर इशारा करते हुए शनिवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने 25 साल पहले ही कहा था कि भाजपा एक विभाजनकारी पार्टी है, लेकिन शिवसेना को इस सच्चाई का अहसास दो साल पहले ही हुआ।संजय राउत ने विभिन्न राजनीतिक रैलियों में मराठी में शरद पवार के दिए गए भाषणों का संग्रह ‘‘नेमकेची बोलाने’’ नामक पुस्तक के विमोचन पर यह बात कही।शिवसेना सांसद ने कहा, ‘‘ करीब 25 साल पहले शरद पवार ने कहा था कि भाजपा देश में एकता नहीं चाहती। इसके तरीके विभाजनकारी हैं। इसका एहसास हमें दो साल पहले हुआ था। उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा की नीतियां ऐसी हैं जो देश को पीछे ले जाएंगी। हालांकि, हमें इसे महसूस करने में काफी समय लगा।’’
‘‘नेमकेची बोलाने’’ के विमोचन पर संजय राउत ने कही बड़ी बात
पुस्तक के शीर्षक का उल्लेख करते हुए राउत ने कहा, “पुस्तक का नाम इतना अच्छा है कि हम सभी को इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार में देना चाहिए। उन्हें कुछ चीजें जानने की जरुरत है।”राउत ने कहा कि संसद का केंद्रीय सभागार पार्टियों के नेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों के अलावा अन्य राजनेताओं के बीच बैठकों के लिए जाना जाता था, जो विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे।उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि संसद में सवाल पूछने की कोशिश करने वालों का विरोध किया जा रहा है और उन्हें दबाया जा रहा है।’’राउत ने कहा कि सवाल उठाने के बुनियादी अधिकारों से इनकार बहुसंख्यकवाद का मार्ग प्रशस्त करता है।राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘‘पवार ने कुछ साल पहले यह कहा था और अब हमने इसे वास्तविकता के रूप में देखा है।
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