नई दिल्ली : अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट दोनों पार्टियों ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। दोनों ही पार्टियां अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। नवंबर में होने वाले इस चुनाव में रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट उम्मीदवारों की नजर भारतीय मतदाताओं पर हैं और वे इस वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटे हैं। भारतीय नागरिकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए रिपब्लिकन पार्टी अपनी रैलियों में 'हाउडी मोदी' और 'नमस्ते ट्रंप' के दृश्यों का इस्तेमाल कर रही है।
'व्यक्तिगत रूप से पार्टी का समर्थन करें लोग'
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अमेरिका में रहने वाले अपने सदस्यों से कहा है कि वे इस चुनाव में व्यक्तिगत रूप में किसी पार्टी का समर्थन कर सकते हैं लेकिन रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट पार्टी का प्रचार करते समय वे भाजपा का नाम न लें। 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के विदेश मामलों के प्रभारी विजय विजय चौथाईवाले ने इस बारे में अमेरिका में बीजेपी के ओवरसीज फ्रेंड्स (ओएफबीजेपी) को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पार्टी के सदस्यों को दोनों में से किसी भी पार्टी का प्रचार करते समय आधिकारिक रूप से भाजपा का नाम न लेने के लिए कहा है।
अमेरिकी चुनाव से भाजपा का लेना-देना नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक चौथाईवाले ने कहा, 'लोग जिस देश में रह रहे हैं, वहां उनको चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने का अधिकार है। ओएफबीजेपी का प्रत्येक सदस्य चुनाव प्रचार में अपने व्यक्तिगत रूप में सक्रिय रूप से भाग ले सकता है। अमेरिकी चुनाव से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है।'
कमला हैरिस हैं उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार
रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से उप राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की कमला हैरिस को उम्मीदवार बनाए जाने पर उन्होंने कहा, 'यह स्वाभाविक रूप से खुश होने वाली बात है कि अमेरिका में दूसरे सबसे बड़े पद की दौड़ में भारतीय मूल की नागरिक शामिल हैं लेकिन भाजपा इस चुनाव में किसी का पक्ष नहीं लेना चाहती। हमारे सदस्य अपनी पसंद के अनुसार पार्टी का चुनाव कर सकते हैं क्योंकि अपनी पसंद की पार्टी का चुनाव करना सभी का अधिकार है।'
अमेरिका में करीब 13 लाख भारतीय मूल के मतदाता
बता दें कि अमेरिका में 13 लाख ऐसे मतदाता हैं जो भारतीय मूल के हैं। कई क्षेत्रों एवं सीटों पर इनका मत बहुत मायने रखता है। जिन सीटों पर हार-जीत कम वोटों से होती है वहां इनके वोट काफी अहम होते हैं। इसलिए रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट दोनों ही पार्टियों इन्हें अपने पाले में करना चाहती हैं।
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