बात उस फिल्म की, जो 3 जून को रिलीज हो रही है,लेकिन रिलीज से पहले उसमें सियासी तड़का लग गया है।बॉक्स ऑफिस पर सम्राट पृथ्वीराज (Samrat Prithviraj) को विजय मिली या नहीं-ये तो एक हफ्ते में पता चल जाएगा हां, हिन्दू सम्राट पर बनी फिल्म को टैक्स फ्री कर यूपी-एमपी की सरकारों ने फिल्म को सफल बनाने के यज्ञ में अपनी आहूति दे दी है।
और इस फिल्म से जुड़ा सच ये है कि बीजेपी जिस विचारधारा की अगुआई करती है, फिल्म उस खांचे में फिट बैठती है। लेकिन, सवाल ये है कि क्या अखिलेश यादव उस राजा की तरह हैं,जो सत्ता गंवाने के बावजूद न सच सुनना चाहते हैं, और ना सच का सम्मान करना चाहते हैं।
ऑडिटोरियम के लिए खुद को क्रेडिट, राजस्व के नुकसान के लिए सरकार पर हमला और उत्तर प्रदेश के वर्तमान हालात को लेकर सरकार की घेराबंदी। फिल्म के बहाने अखिलेश ने सरकार को घेरने की जबरदस्त कोशिश की।
लेकिन, अखिलेश भूल गए कि उनके राज में सबसे ज्यादा फिल्में टैक्स फ्री हुईं और तेवर, डेढ़ इश्किया, मर्दानी, पीके, बजंरगी भाईजान जैसी तमाम बड़ी फिल्में तो यूपी में फिल्माए जाने की वजह से मिस टनकपुर और इश्क के परिंदे जैसी कई फिल्में भी टैक्स फ्री हो गईं, जिनमें ना कोई संदेश था, ना क्वालिटी।
बहरहाल, सम्राट पृथ्वीराज ने भले हिन्दू धर्म की रक्षा को अपना उद्देश्य माना लेकिन लोकतंत्र में सत्ता और विपक्ष का अपना-अपना धर्म तय है। और इस धर्म को कोरी लफ्फाजी से कलंकित नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि अखिलेश के दावों के बीच एक सच ये है अखिलेश राज में यूपी की जीडीपी 57 फीसदी की दर से बढ़ी तो योगीराज में 79 फीसदी की दर से अखिलेश राज में 2017 में यूपी में प्रति व्यक्ति आय 48,520 थी,जो योगीराज में 2021 में बढ़कर 95 हजार रुपए हो गई। योगी राज में रामराज भले ना हों,लेकिन हर बात-बेबात आलोचना विपक्ष की क्रेडिबिलिटी को कम करता है, और शायद ऐसी आलोचनाओं से ही सत्ता को बैठे बैठाए लाभ मिलता है।
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