नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पिछले 66 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। इन 66 दिनों के आंदोलन में 11 चक्र की वार्ता, 26 जनवरी का उत्पात और 28 जनवरी को बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत की भावुक अपील ने कई तरह के समीकरणों को बदल दिया। बजट से पहले शनिवार को सर्वदलीय बैठक हुई जिसमें पीएम मोदी ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है और इस संबंध में कृषि मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि बस एक फोन कॉल का इंतजार है। लेकिन कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं जो बातचीत को डिरेल करने की कोशिश करती नजर आती हैं।
बीकेयू आर की अपील
बीकेयू राजेवाल गुट के अध्यक्ष बलवीर सिंह राजेवाल का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों की छवि को खराब करने में जुटी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने आंदोलनकारियों से अपील करते हुए कहा कि अगर हम शांति पूर्वक अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने में कामयाब नहीं हुए तो पीएम मोदी की जीत होगी।राजेवाल का कहना है कि आप सभी देख रहे होंगे कि किस तरह से हमारे आंदोलन के बीच सरकार ने इंटरनेट सर्विस को बाधित कर दिया है। वो सभी किसानों से अपील करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वो दिल्ली आएं। लेकिन संयम का परिचय दें। अगर ऐसा नहीं होता है कि तो केंद्र सरकार हम लोगों के आंदोलन को बदनाम करके कुचल देगी।
26 जनवरी की हिंसा से आंदोलन पर पड़ा असर
बलवीर सिंह राजेवाल का कहना है कि 26 जनवरी को जिस तरह से दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में हिंसा हुई उसके बाद आंदोलन के इकबाल पर असर पड़ा। जिस तरह से देश के सभी तबके से समर्थन मिल रहा था उस पर असर पड़ा। इस तरह की स्थिति में हम सबको सतर्क रहना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान संगठन खुले मन से बातचीत के लिए तैयार हैं। हम लोगों की तरफ से किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जा रहा है, सरकार को भी किसानों की परेशानियों को समझने की जरूरत है।
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