Target Killing In Kashmir: बदली रणनीति के तहत कश्मीर में आतंकवादी अब टारगेट किलिंग (Target Killing) का सहारा ले रहे हैं। और जनवरी से लेकर 2 जून तक 20 लोग टारगेट किलिंग का शिकार हो चुके हैं। और अगर आतंकियों के हमले का पैटर्न देखा जाय तो उन्होंने ज्यादातर हत्याएं बडगाम और कुलगाम में की है। उसमें भी बडगाम (Budgam) आतंकियों का आसान टारगेट रहा है। राजधानी श्रीनगर (Srinagar) से सटे हुए जिले में ही आतंकियों ने कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) और सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट, टीवी कलाकार अमरीन भट्ट, दो ईंट भट्टा मजूदरों पर हाल ही में हमला किया है। इसी तरह बैंक मैनेजर विजय कुमार और स्कूल टीचर रजनी बाला की कुलगाम (Kulgam) में आंतकियों ने हत्या कर दी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि ज्यादातर टारगेट किलिंग इसी इलाके में क्यों हो रही है...
बडगाम और कुलगाम में टारगेट किलिंग के मामले
यानी 20 दिन में कुल 8 हत्याओं में 5 हत्याएं आतंकियों ने बडगाम और कुलगाम जिले में की है। इसके पहले 13 अप्रैल को कुलगाम में सतीश सिंह, 26 मार्च को इशफॉक अहमद, 21 मार्च को तजमुल मोहिउद्दीन और 10 मार्च को सिपाही समीर अहमद माला की बडगाम में आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। और अगर पूरे साल के आंकड़े देखें जाएं जनवरी से अब तक 20 लोग टारगेट किलिंग के शिकार हुए हैं। इसमें से 12 हत्याएं बडगाम और कुलगाम में हुई हैं।
तीन संवेदनशील जिलों से सटा है बडगाम
अगर पिछले एक साल में आतंकी हमले को देखा जाय तो कश्मीर में ज्यादातर आतंकी हमले बडगाम, कुलगाम, पुलवामा, शोपियां, श्रीनगर में हमले हुए हैं। और यह जिले दक्षिण कश्मीर और मध्य कश्मीर में स्थित हैं। इसमें भी अगर बडगाम को देखा जाय तो वह मध्य कश्मीर का हिस्सा है। अगर आतंकियों के एनकाउंटर और दूसरी गतिविधियों को देखा जाय तो अमरीन भट्ट के हत्या करने वाले आतंकियों को पुलवामा में मारा गया। जबकि उन्होंने अमरीन भट्ट की हत्या बडगाम में की थी। इससे साफ है कि दक्षिण कश्मीर के आतंकवादी मध्य कश्मीर में आ रहे हैं। यानी स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी आतंकवादी भी मूवमेंट कर रहे हैं। इसके अलावा राजधानी श्रीनगर में ज्यादा सुरक्षा होने की वजह से बडगाम कहीं आसान टारगेट बनता है।
पिछले साल अक्टूबर से बढ़ी टारगेट किलिंग
कश्मीर में टारगेट किलिंग के मामले पिछले साल अक्टूबर 2021 से सबसे ज्यादा बढ़े हैं। और इसकी शुरूआत श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के प्रतिष्ठित केमिस्ट और कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंद्रू की हत्या से की गई थी। 68 साल के बिंद्रू उन चुनिंदा लोगों में थे, जिन्होंने 90 के दशक में भी कश्मीरी पंडितों पर हमले होने के बाद भी कश्मीर को नहीं छोड़ा था। और उसके बाद से अब तक 37 लोगो को आतंकवादी शिकार बना चुके हैं। टारगेट किलिंग की एक बड़ी वजह सुरक्षा बलों का बड़े पैमाने पर आतंकियों का एनकाउंटर करना रहा है।अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों पर बड़ी कार्रवाई की है। इसके तहत करीब 540 आतंकवादी मारे जा चुके हैं।
चुनाव और अमरनाथ यात्रा निशाने पर
जबसे कश्मीर में चुनाव कराने की चर्चाएं शुरू हुई हैं। उसके बाद से आतंकियों ने टारगेट किलिंग की घटनाएं तेज कर दी है। कश्मीर में जल्द चुनाव होंगे इसको लेकर पहला अहम बयान गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी 2022 में कश्मीर दौरे पर दिया था। उसके बाद से परिसीमन आयोग ने भी मई 2022 में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। और 7 हत्याएं मई में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट सौंपने के बाद हुई है। इसके अलावा 30 जून को अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है। और आतंकी टारगेट किलिंग से लेकर स्टिकी बम का सहारा ले सकते हैं।
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