नई दिल्ली: मोदी सरकार के लिए 30 अक्टूबर और 2 नवंबर बेहद अहम दिन साबित होने वाले हैं। असल में 30 अक्टूबर को देश के 15 राज्यों में उप चुनाव होने वाले हैं। इसके तहत 3 लोक सभा सीट और 30 विधान सभा सीटों पर चुनाव (मतदान) होंगे। इन चुनावों के परिणामों को एक तरह से मूड ऑफ द नेशन भी कहा जा सकता है। क्योंकि यह चुनाव, भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण, पूरब , पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में हो रहे हैं, यानी पूरा भारत शामिल हो रहा है। ऐसे में साफ है कि, 2 नवंबर के आने वाले परिणामों को कोरोना की दूसरी लहर, महंगाई, मौजूदा लखीमपुर खीरी हिंसा, किसान आंदोलन, जम्मू एवं कश्मीर में बढ़ी हिंसक घटनाओं पर जनता के रुख के रुप में भी देखा जाएगा।
इन राज्यों में हो रहे हैं चुनाव
30 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के मंडी, मध्य प्रदेश के खंडवा और केंद्र शासिस प्रदेश दादर नगर हवेली में लोक सभा सीट के लिए उपचुनाव होंगे। इन 3 सीटों में से 2 सीटों पर भाजपा का कब्जा था। ऐसे में देखना होगा कि भाजपा इन दोनों सीटों पर फिर से जीत हासिल कर पाती है या नहीं। इसके अलावा असम में 5 विधान सभा, पश्चिम बंगाल में 4 विधान सभा, मध्य प्रदेश, हिमाचल और मेघालय में 3 विधान सभा, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान में दो विधान सभा, जबकि हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम, नागालैंड में एक विधान सभा सीट पर चुनाव होंगे।
कोरोना की दूसर लहर, लखीमपुर खीरी और किसान आंदोलन का क्या होगा असर
चुनाव के जरिए जनता का मूड जानने का मौका ,इसके पहले 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच 5 राज्यों के चुनाव में मिला था। जिसमें पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधान सभा चुनाव कराए गए थे। यह वह दौर था, जब भारत में तेजी से कोरोना की दूसरी लहर पैर पसा रही थी। और अप्रैल में ऐसी स्थिति बन गई थी लोग इलाज के बिना सड़कों पर तड़प-तड़प कर मर रहे थे। हालत यह गई थी, कि राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग पर भी सवाल उठने लगे थे कि रैलियों की वजह से देश में तेजी से कोरोना का प्रसार हुआ। इसके अलावा किसान आंदोलन भी अपने चरम पर पहुंच चुका था। और अब लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद जनता क्या सोचती है। इसका भी टेस्ट पहली बार होगा।
महंगाई कितना डालेगी असर
जब पिछले साल 5 राज्यों में अप्रैल महीने में विधान सभा चुनाव हो रहे थे। उस वक्त 29 अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल के दाम 90.40 रुपये थे, जबकि डीजल के दाम 80.73 रुपये थे। जबकि 7 अक्टूबर में दिल्ली में करीब 12 रुपये बढ़कर 102.64 रुपये और डीजल के दाम करीब 10.50 रुपये बढ़कर 91.07 रुपये पर पहुंच गए हैं। इसी तरह सरसों का तेल करीब 200 रुपये लीटर तक बिक रहा है। और बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 884.50 रुपये तक पहुंच चुका है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि इन उप चुनावों में महंगाई का क्या असर होता है।
इन मुख्यमंत्रियों के लिए है अहम
इन उप चुनावों में बिहार में हो रहे उप चुनाव ने महागठबंधन में दरार डाल दी है। कांग्रेस ने कुशेश्वरस्थान व तारापुर सीटों पर होने वाले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिया है। ऐसे में अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। जिसका फायदा नीतीश और उनके दल जद (यू) को मिलता दिख रहा है।
इसी तरह मध्य प्रदेश के उप चुनाव मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए काफी अहम हैं। खास तौर पर यह देखते हुए कि भाजपा ने गुजरात और उत्तराखंड में अचानक मुख्यमंत्री बदल दिए हैं। ऐसे में अगर उप चुनावों में पार्टी की हार होती हैं, तो उनकी कुर्सी पर खतरा मंडरा सकता है।
हरियाणा में किसान आंदोलन के दौर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का टेस्ट है। क्योंकि ऐलानाबाद की सीट पर इंडियन लोक दल के नेता अभय चौटाला चुनाव जीते थे। लेकिन किसान कानूनों के विरोध में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी।
इसी तरह राजस्थान की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए अहम हैं। क्योंकि यह चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत-सचिन पायलट की आपसी खींचतान और भाजपा में वसुंधरा राजे के समर्थकों के विरोध के बीच चुनाव हो रहे हैं। जहां तक बंगाल चुनाव की बात है तो वहां जिस तरह से भाजपा को छोड़कर नेता और विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में लगता यही है कि तृणमूल कांग्रेस के लिए राह आसान होगी।
भाजपा ने अब तक इन सीटों पर घोषित किए उम्मीदवार
बृहस्पतिवार (7 अक्टूबर) को भाजपा ने तीनों लोकसभा सीटों और 16 विधान सभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। जारी लिस्ट के अनुसार, भाजपा पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हिमाचल, कर्नाटक, राजस्थान , हरियाणा, आंध्र प्रदेश में चुनाव लड़ेगी। बिहार में भाजपा के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड , एनडीए प्रत्याशी के रुप में अपने उम्मीदवार उतार रही है। इन दोनों सीटों पर जनता दल (यू) का कब्जा था।
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