कारगिल युद्ध (Kargil War) का जब भी जिक्र आएगा तो जेहन में एक भारतीय जवान कैप्टन विक्रम बत्रा (Capt.Vikram Batra) की तस्वीर जरुर आएगी, जी हां हम बात कर रहे हैं ऐसे जांबाज की जिनका कारगिल वार में भारत की जीत में बेहद अहम योगदान है।कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल के युद्ध में देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया था, युद्ध के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी को नमन करते हुए उनको सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था।
कैप्टन विक्रम बत्रा वो नाम है जिसको भारत कारगिल का शेर भी कहता है, कारगिल युद्ध में 7 जुलाई 1999 को कैप्टन बत्रा महज 24 साल की उम्र में वीरगित को प्राप्त हो गए थे। लेकिन उनकी वीरता की कहानी से आज भी पूरा देश और युवा पीढ़ी प्रेरणा लेती है।
उन्होंने अपने सैन्य जीवन की शुरुआत 6 दिसंबर 1997 को भारतीय सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स से की थी,विज्ञान विषय में स्नातक करने के बाद विक्रम का चयन सीडीएस के जरिए सेना में हो गया। जुलाई 1996 में उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में प्रवेश लिया। दिसंबर 1997 में प्रशिक्षण समाप्त होने पर उन्हें 6 दिसम्बर 1997 को जम्मू के सोपोर नामक स्थान पर सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली।
उन्होंने 1999 में कमांडो ट्रेनिंग के साथ कई प्रशिक्षण भी लिए। पहली जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प व राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद विक्रम को कैप्टन बना दिया गया।
श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्त्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की ज़िम्मेदारी कैप्टन बत्रा की टुकड़ी को मिली। कैप्टन बत्रा अपनी कंपनी के साथ घूमकर पूर्व दिशा की ओर से इस क्षेत्र की तरफ बडे़ और बिना शत्रु को भनक लगे हुए उसकी मारक दूरी के भीतर तक पहुंच गए। कैप्टेन बत्रा ने अपने दस्ते को पुर्नगठित किया और उन्हें दुश्मन के ठिकानों पर सीधे आक्रमण के लिए प्रेरित किया।
सबसे आगे रहकर दस्ते का नेतृत्व करते हुए उन्होंने बड़ी निडरता से शत्रु पर धावा बोल दिया और आमने-सामने के गुतथ्मगुत्था लड़ाई मे उनमें से चार को मार डाला। बेहद दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्ज़े में ले लिया।
कैप्टन विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा तो सेना ही नहीं बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। इसी दौरान विक्रम के कोड नाम शेरशाह के साथ ही उन्हें ‘कारगिल का शेर’ की भी संज्ञा दे दी गई। अगले दिन चोटी 5140 में भारतीय झंडे के साथ विक्रम बत्रा और उनकी टीम का फोटो मीडिया में आ गयी।
इसके बाद सेना ने चोटी 4875 को भी कब्ज़े में लेने का अभियान शुरू कर दिया और इसके लिए भी कैप्टन विक्रम और उनकी टुकड़ी को जिम्मेदारी दी गयी। उन्हें और उनकी टुकड़ी एक ऐसी संकरी चोटी से दुश्मन के सफ़ाए का कार्य सौंपा गया जिसके दोनों ओर खड़ी ढलान थी और जिसके एकमात्र रास्ते की शत्रु ने भारी संख्या में नाकाबंदी की हुई थी। कार्यवाई को शीग्र पूरा करने के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा ने एक संर्कीण पठार के पास से शत्रु ठिकानों पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। आक्रमण का नेतृत्व करते हुए आमने-सामने की भीषण गुत्थमगुत्था लड़ाई में अत्यन्त निकट से पांच शत्रु सैनिकों को मार गिराया।
इस कार्यवाही के दौरान उन्हें गंभीर ज़ख्म लग गए। गंभीर ज़ख्म लग जाने के बावजूद वे रेंगते हुए शत्रु की ओर बड़े और ग्रेनेड फ़ेके जिससे उस स्थान पर शत्रु का सफ़ाया हो गया। सबसे आगे रहकर उन्होंने अपने साथी जवानों को एकत्र करके आक्रमण के लिए प्रेरित किया और दुश्मन की भारी गोलीबारी के सम्मुख एक लगभग असंभव सैन्य कार्य को पूरा कर दिखाया।
उन्होंने जान की परवाह न करते हुए अपने साथियों के साथ, जिनमे लेफ्टिनेंट अनुज नैयर भी शामिल थे, कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। किंतु ज़ख्मों के कारण यह अफ़सर वीरगति को प्राप्त हुए।उनके इस असाधारण नेतृत्व से प्रेरित उनके साथी जवान प्रतिशोध लेने के लिए शत्रु पर टूट पड़े और शत्रु का सफ़ाया करते हुए प्वॉइंट 4875 पर कब्ज़ा कर लिया। कैप्टन बत्रा के पिता जी.एल. बत्रा कहते हैं कि उनके बेटे के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टीनेंट कर्नल वाई.के. जोशी ने विक्रम को शेर शाह उपनाम से नवाजा था।
कैप्टन विक्रम बत्रा ने शत्रु के सम्मुख अत्यन्त उतकृष्ट व्यक्तिगत वीरता तथा उच्चतम कोटि के नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं के अनुरूप अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इस अदम्य साहस और पराक्रम के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा को 15 अगस्त 1999 को भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जो 7 जुलाई 1999 से प्रभावी हुआ।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।