तीन राज्यों (पंजाब, बंगाल और असम) में सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी से 50 किमी तक बढ़ाने के खिलाफ पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। पंजाब सरकार के साथ साथ पश्चिम बंगाल की सरकार ने ऐतराज जताया है। इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा था कि इससे राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल दिया गया है जो संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है।
राज्यों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण
संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के कदम को चुनौती देते हुए पंजाब सरकार ने कहा कि बीएसएफ प्राधिकरण के विस्तार ने संबंधित राज्यों के संवैधानिक अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है।केंद्र के फैसले का असर पाकिस्तान से सटे जिलों के 80 फीसदी हिस्से पर पड़ेगा जबकि संविधान ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने का अधिकार और पुलिस को 'राज्य सूची' में रखा है। इस अधिकार ने राज्य सरकार को दिया गया है।
पंजाब सरकार का कहना है कि इस अधिसूचना के माध्यम से, राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया गया है। मूल अपील में कहा गया है कि केंद्र ने अपना आदेश जारी करने से पहले राज्य से परामर्श नहीं किया था। कहानी के अपने पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए केंद्र को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने अटॉर्नी-जनरल के माध्यम से 28 दिनों में जवाब दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया है और उसके बाद मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा।
चन्नी सरकार के फैसले का नवजोत सिद्धू ने किया स्वागत
पंजाब सरकार के इस मुकदमे का सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट किया, "मैं पंजाब और उसकी कानूनी टीम को बधाई देता हूं कि उसने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने वाली अधिसूचना को चुनौती देते हुए एक मूल मुकदमा दायर करके माननीय सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने सिद्धांतों को बनाए रखने की लड़ाई बताया। संविधान में निहित सिद्धांतों को बनाए रखने की लड़ाई, यानी संघीय ढांचे और राज्यों की स्वायत्तता को बनाए रखने की लड़ाई शुरू हो गई है। केंद्र को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
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