चीन के साथ गतिरोध पर जनरल रावत की दो-टूक कहा- "भारत किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा"

देश
भाषा
Updated Apr 15, 2021 | 21:19 IST

CDS on china: सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा- भारत उत्तरी सीमाओं पर मजबूती से खड़ा रहा है। भारत ने साबित कर दिया कि वह सीमाओं की रक्षा के लिए नहीं झुकेगा।

BIPIN RAWAT on China
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा- भारत उत्तरी सीमाओं पर मजबूती से खड़ा रहा है 
मुख्य बातें
  • कहा, 'भारत उत्तरी सीमाओं पर मजबूती से खड़ा रहा और हमने साबित कर दिया कि हम झुकेंगे नहीं'
  • चीन क्षेत्र में जापान और अन्य देशों के वैध हितों को मान्यता नहीं देता तथा इस तरह की प्रवृत्ति तनाव बढ़ाएगी
  • भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कई क्षेत्रों में पिछले साल मई के शुरू से सैन्य गतिरोध बना हुआ है 

नयी दिल्ली: प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत ने पूर्वी लद्दाख में चीन (China) के साथ गतिरोध का जिक्र करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि भारत उत्तरी सीमाओं पर यथास्थिति को बदलने के प्रयासों को रोकने के क्रम में मजबूती से खड़ा रहा और साबित कर दिया कि वह किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। जनरल रावत ने यहां 'रायसीना संवाद' में अपने संबोधन में कहा कि चीन ने सोचा कि वह थोड़ी सी ताकत दिखाकर अपनी मांगें मनवाने के लिए राष्ट्रों को विवश करने में सफल रहेगा क्योंकि उसके पास प्रौद्योगिकीय लाभ की वजह से श्रेष्ठ सशस्त्र बल हैं।

उन्होंने कहा, 'लेकिन मुझे लगता है कि भारत उत्तरी सीमाओं पर मजबूती से खड़ा रहा और हमने साबित कर दिया कि हम झुकेंगे नहीं।'सीडीएस ने कहा कि क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने के प्रयासों को रोकने में मजबूती से खड़ा होकर भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहा।

रावत ने कहा, 'उन्होंने (चीन) यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि वे शक्ति का इस्तेमाल किए बिना विध्वंसक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर यथास्थिति को बदल देंगे...उन्होंने सोचा कि भारत, एक राष्ट्र के रूप में, उनके द्वारा बनाए जा रहे दबाव के आगे झुक जाएगा क्योंकि उनके पास प्रौद्योगिकीय लाभ हैं।'

जनरल रावत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यह कहने के लिए भारत का सहयोग करने आ गया कि 'हां एक अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था है जिसका हर देश को पालन करना चाहिए। यह वह चीज है जो हम हासिल करने में सफल रहे हैं।'भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कई क्षेत्रों में पिछले साल मई के शुरू से सैन्य गतिरोध बना हुआ है जिससे द्विपक्षीय संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

सिलसिलेवार कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद भारत और चीन ने गत फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। दोनों पक्ष अब अन्य क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी के लिए बात कर रहे हैं। जनरल रावत ने कहा, 'उन्होंने (चीन) सोचा कि वे आ गए हैं क्योंकि उनके पास प्रौद्योगिकी लाभ की वजह से एक श्रेष्ठ सशस्त्र बल है।'

रावत ने कहा, 'वे (चीन) विध्वंसक प्रौद्योगिकी बनाने में सफल रहे हैं जो प्रतिद्वंद्वी की प्रणालियों को पंगु बना सकती है और इसीलिए उन्हें लगता है कि वे थोड़ी सी ताकत दिखाकर अपनी मांगें मनवाने के लिए राष्ट्रों को विवश करने में सफल हो सकते हैं।'सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण का जिक्र करते हुए रावत ने कहा कि अमेरिका के एफ-35 विमान अत्याधुनिक विमान हैं, लेकिन वह पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि भारत के साथ अमेरिका इसकी प्रौद्योगिकी साझा करेगा।

रावत ने कहा, 'उन्होंने (अमेरिका) हमें जो पेशकश की है, वह एफ-श्रृंखला में एक निम्न संस्करण है।'सम्मेलन में जापान के स्व-रक्षा बलों के प्रमुख जनरल कोजी यामजाकी ने कहा कि चीन एकतरफा ढंग से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहा है और इसलिए विध्वंसक प्रौद्योगिकियों तथा गलत तौर-तरीकों का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।

"चीन क्षेत्र में जापान और अन्य देशों के वैध हितों को मान्यता नहीं देता"

उन्होंने कहा कि चीन क्षेत्र में जापान और अन्य देशों के वैध हितों को मान्यता नहीं देता तथा इस तरह की प्रवृत्ति तनाव बढ़ाएगी। यामजाकी ने कहा कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था की आवश्यकता है।उन्होंने यह भी कहा कि ताइवान में कोई भी संभावित प्रतिकूल स्थिति जापान के हितों को सीधे प्रभावित करेगी।ऑस्ट्रेलिया के सेना प्रमुख जनरल आंगस कैंपबेल ने कहा कि क्षेत्र में गलत तौर-तरीकों की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा, 'हमें यह दक्षिण चीन सागर में दिखाई देता है। रेखा का उल्लंघन किए बिना जवाब देना बेहद चुनौती भरा है जिसका नतीजा खुले संघर्ष के रूप में निकलेगा।' जनरल रावत ने कहा कि भू-आर्थिकी के साथ भू-राजनीति विश्व व्यवस्था को संचालित करनेवाले नियमों को पुन: आकार देने की मांग कर रही हैं और चीन यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि 'या तो मेरी बात, नहीं तो किसी की बात नहीं।' 'रायसीना संवाद' 13 अप्रैल से शुरू हुआ था और 16 अप्रैल तक चलेगा जिसका आयोजन विदेश मंत्रालय के सहयोग से थिंक टैंक 'ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन' ने किया है।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर