नई दिल्ली: बीते दिनों जम्मू कश्मीर में एक सफल ऑपरेशन के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के शीर्ष कमांडर रियाज नायकू को ढेर कर दिया था। जिसके बाद एक बार फिर सेना ने आतंक की गली आने के बारे में सोच रहे कट्टरपंथियों को अहसास दिला दिया कि दहशतगर्दी फैलाने का क्या अंजाम होता है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का भी यही कहना है कि सुरक्षाबलों की प्राथमिकता आतंकी नेतृत्व का खात्मा करना है ताकि आतंकी संगठनों की भर्ती में कमी आ सके।
सीडीएस बिपिन रावत ने रियाज नायकू के एनकाउंट में मारे जाने के बाद मामले पर बोलते हुए कहा, 'सशस्त्र बल की प्राथमिकता आतंकवादी नेतृत्व को बेअसर करना है। इससे आतंकी संगठनों की भर्ती में कमी आती है। वे हीरो नहीं हैं, वे कोई भी नहीं हैं।'
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख रियाज नाइकू की हत्या के लिए सुरक्षाबलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस की प्रशंसा की। हिजबुल कमांडर को बुधवार को कश्मीर के अवंतीपोरा के बेघपोरा इलाके में मार गिराया गया था।
बीते 8 साल से आतंकी कमांडर की तलाश की जा रही थी। बुधवार को 5 घंटे से ज्यादा की मुठभेड़ के बाद वह मारा गया। उसके सिर पर 12 लाख रुपए का इनाम था।
नाइकू का नाम ए ++ ग्रुप (शीर्ष आतंकवादी) में शामिल था और वह कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन की पकड़ मजबूत करने पर काम कर रहा था। उन पर पुलिस / सुरक्षा बलों के मुखबिरों के रूप में ब्रांडिंग करने के बाद नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया गया था। वह पुलिसकर्मियों सहित सुरक्षाबलों पर हमलों में भी शामिल था। कश्मीर आईजी के अनुसार, मारे गया आतंकवादी कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद के लिए प्रेरित करने के लिए सोशल मीडिया पर ऑडियो और वीडियो क्लिप पोस्ट करता था।
रियाज़ नाइकू नार्को व्यापार में सक्रिय रूप से शामिल था और बाग मालिकों की लूट को भी अंजाम देता था। कश्मीर में अफीम और 'भांग' की अवैध खेती से उसने जबरन नकदी इकट्ठा करने के काम किए थे।
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