CDS रावत का बड़ा बयान- लद्दाख में फेल हुई बातचीत तो सैन्य विकल्पों पर करेंगे विचार

देश
किशोर जोशी
Updated Aug 24, 2020 | 10:21 IST

लद्दाख में चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच सीडीएस जनरल बिपिन रावत का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि यदि लद्दाख में बातचीत से हल नहीं निकलता है तो सैन्य विकल्पों पर भी विचार होगा।

CDS General Bipin Rawat says Military option on table if talks fail with China in Ladakh
'लद्दाख में फेल हुई बातचीत तो सैन्य विकल्पों पर होगा विचार' 
मुख्य बातें
  • लद्दाख में चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच सीडीएस रावत का बड़ा बयान
  • यदि राजनितिक और कूटनितिक विकल्प फेल होते हैं तो सैन्य विकल्पों पर हो सकता है विचार- रावत
  • चीन के साथ गलवान वैली में हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए थे कई जवान

नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच जारी सीमा विवाद पर चीफ आफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS) ने बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने कहा कि लद्दाख में  चीनी सेना द्वारा किए गए बदलाव से निपटने के लिए सैन्य विकल्प जारी है, लेकिन इस विकल्प पर विचार सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत विफल होने के बाद किया जाएगा। जनरल रावत ने कहा, 'लद्दाख में चीनी सेना द्वारा किए गए अपराधों से निपटने के लिए सैन्य विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इसका उपयोग केवल तभी किया जाएगा जब सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ता विफल हो जाती है।'

रक्षा सेनाएं सदैव तैयार

 इससे पहले अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के साथ इंटरव्यू में जनरल रावत ने कहा, “एलएसी के साथ बदलाव अलग-अलग धारणाओं की वजह से होता है। रक्षा सेवाओं को निगरानी रखने और निगरानी करने तथा घुसपैठ को रोकना होता है। सरकार का मानना है कि ऐसी किसी भी ऐसी गतिविधि का शांतिपूर्वक हल निकाला जाए। रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं, एलएसी पर अगर यथास्थिति को बहाल करने की कोशिशें अगर सफल नहीं होती है तो सैन्य विकल्प के लिए रक्षा सेनाएं सदैव तैयार हैं।'

तालमेल की कोई कमी नहीं

आपको बता दें कि जब 2017 में चीनी पीएलए आर्मी के साथ डोकलाम में विवाद हुआ था तो इसका खात्मा 73 दिन बाद हुआ था और उस समय सीडीएस रावत आर्मी चीफ थे।  सीडीएस रावत ने इस बात को खारिज कर दिया कि खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है। उन्होंने कहा कि भारत की हिंद महासागर क्षेत्र के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एक विशाल फ्रंट-लाइन है, जिसकी सभी को निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है।

गलवान हिंसा के बाद बढ़ी तनाव

दरअसल लद्दाख में चीनी सेना गलवान घाटी और संघर्ष के कुछ स्थानों से पीछे हटी है लेकिन पेंगांग सो, देपसांग ओर कुछ अन्य क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। आपको बता दें कि 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़पों के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया। हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गये थे। इस झड़प में 40 के करीब चीनी सैनिक भी मारे गए थे, हालांकि चीन ने आजतक अपने मारे गए सैनिकों की संख्या को लेकर खुलासा नहीं किया है।

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