नई दिल्ली। ओडिशा के जाजपुर के रहने वाले महेश जेना 1700 किमी की दूरी तय कर अपने घर पर हैं। लेकिन उनकी तरह लाखों प्रवासी मजूदरों अभी भी दूसरे राज्यों में हैं। प्रवासी मजदूरों को डर था कि पता नहीं 3 मई के बाद आगे क्या होगा। लेकिन केंद्र सरकार ने बुधवार को गाइडलाइन जारी किया जो लाखों प्रवासी मजदूरों के लिए राहत बन कर आई है। नई गाइडलाइन के तहत प्रभावित ये सभी लोग सावधानियों को बरतते हुए अपने राज्यों में जा सकते हैं। इसका अर्थ है कि अलग अलग राज्यों के मजदूर जो दूसरे राज्यों में फंसे हैं अब वो वैधानिक तौर पर जा सकते हैं, हालांकि कुछ ऐहतियातों के साथ मध्य प्रदेश सरकार ने अपने मजदूरों को गुजरात और राजस्थान से बुलाया था।
केंद्र का बड़ा फैसला, नीतीश कुमार को राहत
केंद्र सरकार के फैसले से सबसे बड़ी राहत या यूं कहें तो मांग बिहार सरकार की पूरी हुई है। नीतीश कुमार ने कहा था कि वो दूसरे प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों और छात्रों को बिहार ला सकते हैं बशर्ते केंद्र सरकार लॉकडाउन के नियमों में ढील दे। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि बिहार के 20 लाख मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं। केंद्र सरकार के फैसले से बिहार सरकार खुश भी है क्योंकि उनकी मांग मावी गई है। जो लोग बिहार आएंगे उनकी स्क्रीनिंग पहले वहां की जाएगी जहां पर वो रह रहे हैं उसके बाद बिहार आने पर की जाएगी।
यूपी और एमपी से पहले ही आए मजदूर
यूपी सरकार ने भी 10 हजार मजदूरों को हरियाणा से बुलाया है। यूपी के मजदूरों को स्क्रीनिंग के बाद हरियाणा सरकार ने यूपी बॉर्डर पर छोड़ा और उसके बाद यूपी सरकार ने मजदूरों को गंतव्य तक रवाना किया। हालांकि जो मजदूर बाहरी राज्यों से आएंगे उन्हें 14 दिन तक क्वारंटीन में रहना होगा। यहां यह जानना जरूरी है कि इस तरह की खबरें आ रही थीं कि प्रवासी मजदूरों को इस बात का डर सता रहा था कि अगर 3 मई को लॉकडाउन बढ़ाया गया तो आगे का रास्ता क्या होगा। अलग अलग राज्यों में तमाम इंतजामों के बाद भी प्रवासी मजदूरों को शिकायत है कि जिस तरह की सुविधा मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल रही है।
3 मई के बाद क्या होगा, प्रवासी मजदूरों को डर
इसके अलावा देश के अलग अलग हिस्सों से खबरें आ रही थीं कि कोई शख्स 500 किमी. हजार किमी 2 हजार किमी की दूरी तय कर वो अपने घर पहुंचा। यही नहीं जिन राज्यों में प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं उन राज्यों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों का इस बात की शिकायत नहीं है कि उन्हें भोजन नहीं मिल रहा है, बल्कि वो इस बात से परेशान है कि 3 मई के बाद क्या होगा।
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