मुफ्त बांटने की राजनीति रही तो अर्थव्यवस्था ढह जाएगी, केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील

देश
गौरव श्रीवास्तव
गौरव श्रीवास्तव | कॉरेस्पोंडेंट
Updated Aug 03, 2022 | 15:28 IST

Free Politics Debate: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि फ्री बांटने से देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर पहुंच जायेगी।

free politics
फ्री पॉलिटिक्स कितनी कारगर !  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • फ्री पॉलिटिक्स पर सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर है।
  • सु्प्रीम कोर्ट ने नीति आयोग, वित्त आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, विधि आयोग और चुनाव आयोग से इस बारे में अपनी राय पेश करने को कहा है।
  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्री पॉलिटिक्स पर सवाल उठाए थे।

Free Politics Debate: राजनीतिक दलों की ‘फ्री पॉलिटिक्स’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका का केंद्र सरकार ने समर्थन किया है। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फ्री बांटने से देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर पहुंच जायेगी। सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका अश्विनी उपाध्याय ने लगाई है। 

सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या आदेश दिया

सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस मामले में सभी पक्षों को आपस में विमर्श की जरूरत है क्योंकि ये जरूरी मामला है।  ऐसे में नीति आयोग, वित्त आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, विधि आयोग और चुनाव आयोग इस बारे में आपस में विचार करके अगली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने सुझाव रखें। 

आज सुप्रीम कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं?

पिछले कुछ सालों से राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त देने की राजनीति आलोचना के केंद्र में रही है। इसी मुद्दे को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका लगाई जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से चुनाव से पहले सरकारी फंड से लोगों को मुफ्त में चीजें बांटने वाले दलों की मान्यता रद्द करने करे जाने की मांग की है। 

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ये एक गंभीर मुद्दा है, ऐसे में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार ये दलील नहीं दे सकते कि उनके हाथ में कुछ नहीं है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने चुनाव आयोग की टिप्पणी पर कहा कि पार्टियां कहती हैं कि हिंसा नहीं होनी चाहिए, लेकिन ये दिखावा भर है, क्योंकि आचार संहिता चुनाव के ठीक पहले लागू होती है। बाकी के 4 साल राजनीतिक दल कुछ भी करते हैं। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की संसद में इस विषय पर चर्चा कराए जाने की सलाह पर कोर्ट ने कहा कि आपको क्या लगता है इस पर चर्चा होगी? आजकल हर कोई मुफ्त चाहता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि जो पैसा वो दे रहे हैं वो विकास के लिए नहीं लगाया जा रहा है। 

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलील दी कि अगर कुछ भी मुफ्त में बांटा जाता है तो उसके लिए पैसा कहीं न कहीं से आता है। नतीजा ये है कि जो राज्य में मुफ्त में बांट रहा है उस पर 60 हजार करोड़ के कर्जे का बोझ हो चुका है। 

वही चुनाव केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि आयोग पहले ही अपना पक्ष कोर्ट में रख चुकी है। मुफ्त बांटने के मामले को चुनाव आचार संहिता में शामिल किया जा सकता है।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर