देश के लोकतंत्र का मंदिर माने जाने वाले 'संसद भवन' की तस्वीर अब पहले जैसी नहीं रहेगी इसको लेकर कवायद शुरू हो चुकी है यानि देश को नई संसद मिलने वाली है और ये इमारत काफी बड़ी होगी,आजादी के 75 साल पूरे होने तक यह नई बिल्डिंग तैयार हो जाएगी जो मौजूदा बिल्डिंग से अधिक बड़ी, आकर्षक और आधुनिक सुविधाओं वाली है।
ताजा घटनक्रम में 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project ) को मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद नए संसद भवन बनाने का रास्ता साफ हो गया है, हालांकि हेरिटेज कंजरवेशन समिति से मंजूरी लेनी होगी इसे लेकर सर्वोच्च अदालत में याचिकाएं दायर की गई थी।
सेंट्रल विस्टा राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को कहते हैं। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब का इलाका इसके अंतर्गत आता है। सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का आवास आता है। इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की ओर करीब तीन किलोमीटर का ये रास्ता और इसके दायरे मे आने वाली इमारतें जैसे कृषि भवन, निर्माण भवन से लेकर संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रायसीना हिल्स पर मौजूद राष्ट्रपति भवन तक का पूरा इलाका सेंट्रल विस्टा (Central Vista) कहलाता है।
नए संसद भवन में लोकसभा का आकार मौजूदा से तीन गुना ज्यादा होगा वहीं राज्यसभा का भी आकार बढ़ेगा। कुल 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से कराया जाएगा।शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, नया संसद भवन वर्ष 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर नए भारत की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप होगा। पीएम मोदी ने सेंट्रल विस्टा का जिक्र करते हुए कहा था कि इसके जरिए सभी मंत्रालय आस-पास रहेंगे और पूरा सिस्टम सेंट्रलाइज्ड रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं इस प्रोजेक्ट के लिए अथॉरिटीज की तरफ से दी गई विभिन्न इजाजतों के खिलाफ दायर की गई थीं इसमें जमीन के इस्तेमाल में बदलाव के लिए दी गई मंजूरी भी शामिल थी, कहना था कि जमीन के इस्तेमाल में बदलाव 'कानूनी रूप से मान्य' नहीं है और जो जगहें पब्लिक के लिए खुली नहीं रहेंगी, उनकी भरपाई करने का कोई प्रावधान नहीं और इस प्रोजेक्ट का कोई पर्यावरण ऑडिट नहीं कराया गया और कम से कम 1000 पेड़ काटे जाएंगे, जमीन के ग्रीन कवर की भरपाई करने की कोई योजना नहीं है।
इसकी ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी,बताते हैं कि इसमें एक बड़ा संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउंज,एक लाइब्रेरी, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे वहीं लोकसभा चैम्बर में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा में 384 सीट होंगी। ये इस बात को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी कि भविष्य में दोनों सदनों के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है और परिसीमन का काम भी होना है।
गौरतलब है कि मौजूदा संसद भवन का निर्माण ब्रिटिश कार्यकाल में हुआ था इसकी डिजाइन लुटियंस और बेकर ने तैयार की थी। संसद भवन के निर्माण में तब कुल 6 साल लगे थे।वायसराय लॉर्ड इरविन ने जनवरी, 1927 को इसका उद्घाटन किया था बताते हैं कि तब इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई थी।
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