नई दिल्ली : कोविड-19 संकट के दौरान दुनिया के अलग-अलग देशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सरकार ने अपनी विस्तृत योजना तैयार कर ली है। विदेशों में फंसे नागरिकों को सात मई से निकाला जाएगा। इसके लिए सरकार ने मंगलवार को दूसरे देशों में भेजे जाने वाले अपने विमानों की संख्या और उनका किराया जारी किया है। सरकार की योजना सबसे पहले मध्य पूर्व, अमेरिका और दक्षिण पूर्व के देशों से अपने नागरिकों को निकालने की है। सात मई से अलग-अलग देशों में भारत से विमान जाएंगे और अगले एक सप्ताह तक वहां से लोगों को निकालेंगे। सात दिनों तक 13 देशों से 64 विमानों एवं 3 युद्धपोतों के जरिए लोगों को निकालने का अभियान चलेगा।
सरकार आने वाले दिनों में दुबई और मालदीव के लिए अपने युद्धपोत रवाना करेगी। इसके लिए नौसेना ने अपने युद्धपोत तैयार रखे हैं। पहले सात दिनों में 15 हजार लोगों को निकालने की योजना है। विमानों में कोविड-19 का लक्षण न रखने वाले लोगों को ही बैठने की इजाजत दी जाएगी। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यात्रियों को इसके लिए किराया चुकाना होगा। विभिन्न देशों के लिए किराया भी सार्वजनिक कर दिया गया है।
सरकार फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए सात मई से 17 मई के बीच 64 विमानों का परिचालन करेगी। इनमें संयुक्त अरब अमीरात के लिए 10 विमान, कतर के लिए दो, सऊदी अरब के लिए पांच, ब्रिटेन के लिए सात, सिंगापुर के लिए 5, अमेरिका के लिए सात, फिलिपींस के लिए पांच, बांग्लादेश के लिए सात, बहरीन के लिए दो, मलेशिया के लिए सात, कुवैत के लिए पांच और ओमान के लिए दो विमान रवाना होंगे।
बहरीन से कोच्चि के लिए 17,000 रुपए, दोहा से कोच्चि के लिए 16,000 और दुबई से चेन्नई के लिए 15,000 रुपए किराया तय किया गया है। इसी तरह लंदन से मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, दिल्ली आने के लिए किराया 50,000 रुपए, शिकागो से दिल्ली, हैदराबाद के लिए एक लाख रुपए, न्यू जर्सी से मुंबई, अहमदाबाद के लिए एक लाख और वाशिंगटन से दिल्ली, हैदराबाद आने के लिए किराया एक लाख रुपए होगा।
ढाका से दिल्ली का किराया 12,000 रुपए, ढाका से श्रीनगर का किराया 15,000 रुपए, दुबई से कोच्चि, अमृतसर, दिल्ली का किराया 13,000 रुपए, अबु धाबी से हैदराबाद का किराया 15,000 रुपए और जेद्दा से दिल्ली का विमान किराया 25,000 रुपए है।
विदेशों में फंसे नागरिकों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। भारत आने के लिए तैयार नागरिकों का कहना है कि वह भारतीय उच्चायोग के साथ लगातार संपर्क में हैं। हालांकि, लंदन स्थित उच्चायोग का कहना है कि भारत सरकार की इस तरह की कोई योजना अभी उसके पास नहीं पहुंची है।
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