केंद्र राजद्रोह कानून की समीक्षा करेगा। इसे लेकर केंद्र ने दूसरा हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि 124ए के प्रावधानों पर पुनर्विचार और पुन: जांच के लिए केंद्र सरकार तैयार है। कोर्ट को 124ए की वैधता पर सुनवाई के साथ आगे बढ़ने से पहले केंद्र के पुनर्विचार की प्रतीक्षा करनी चाहिए। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजद्रोह कानून के प्रावधान पर फिर से विचार करने और पुनर्विचार करने को कहा है। प्रधानमंत्री ने अप्रचलित राजद्रोह कानून को हटाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षण, मानवाधिकारों के सम्मान और संवैधानिक स्वतंत्रता को अर्थ देने के पक्ष में अपने स्पष्ट विचार व्यक्त किए हैं। सरकार उपयुक्त रूप से हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि देश की संप्रभुता और अखंडता संरक्षित है। इसलिए, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आईपीसी 1860 की धारा 124ए की वैधता की जांच में अपना कीमती समय नहीं लगाने का आग्रह किया है और कहा है कि भारत सरकार द्वारा की जाने वाली धारा 124ए पर फिर से विचार करने की प्रक्रिया की प्रतीक्षा करें।
इससे पहले केंद्र ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह से संबंधित दंडात्मक कानून और इसकी वैधता बरकरार रखने के संविधान पीठ के 1962 के एक निर्णय का बचाव किया था। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 5 मई को कहा था कि वह 10 मई को इसपर सुनवाई करेगी कि क्या राजद्रोह से संबंधित औपनिवेशिक युग के दंडात्मक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने शुक्रवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में 2014 से 2019 के बीच राजद्रोह के 326 मामले दर्ज किए गए थे। प्रदेश कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस आंकड़े को ट्वीट करते हुए कहा कि केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान 2019 के बाद दर्ज किए गए राजद्रोह के मामलों की संख्या अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने के लिए राजद्रोह के कुल 149 और (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोलने के लिए 144 मामले दर्ज किए गए। केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया और हाथरस बलात्कार मामले के बारे में लिखने के लिए उत्तर प्रदेश जाने के बाद डेढ़ साल से जेल में हैं।
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