'अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन समावेशी नहीं, दुनिया को इस विषय पर सोचना होगा'

SCO-CSTO Outreach Summit on Afghanistan: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान में समावेशी सरकार नहीं है। बिना किसी समझौते या सामंजस्य के तालिबान सरकार बनी है जिसके बारे में दुनिया को सोचना होगा।

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एससीओ-सीएसटीओ में पीएम नरेंद्र मोदी 
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान में बदलाव समावेशी नहीं, कई तरह के संकट
  • महिलाओं के साथ अत्याचार और मानवीय संकट से जूझ रहा है अफगानिस्तान
  • अफगानिस्तान के विषय पर दुनिया के मुल्कों को समग्र तौर पर सोचना होगा

अफगानिस्तान में तालिबान राज स्थापित होने के बाद एससीओ-सीटीएसओ आउटरीच कार्यक्रम में अफगानिस्तान का मुद्दा जोर शोर से उठा। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति पूरे विश्व के लिए चिंताजनक है। हम सबको इस पर विचार करना होगा कि कैसे एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण हो जो वैश्विक शांति के लिए खतरा ना बने। वैश्विक स्तर पर स्थायित्व के लिए अफगानिस्तान में शांति का स्थापित होना जरूरी है। 

अफगानिस्तान के लिए भारत भी फिक्रमंद
विकास और मानवीय सहायता के लिए भारत बहुत वर्षों से अफगानिस्तान का विश्वस्त partner रहा है। Infrastructure से ले कर शिक्षा, सेहत और capacity building तक हर sector में, और अफगानिस्तान के हर भाग में, हमने अपना योगदान दिया है।आज भी हम अपने अफगान मित्रों तक खाद्य सामग्री, दवाइयां आदि पहुंचाने के लिए इच्छुक हैं। हम सभी को मिल कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान तक मानवीय सहायता निर्बद्ध तरीके से पहुँच सके।

ड्रग्स और अवैध हथियारों की तस्करी चिंता की वजह
अफगानिस्तान के घटनाक्रम से जुड़ा तीसरा विषय यह है कि, इससे ड्रग्स, अवैध हथियारों और human traficking का अनियंत्रित प्रवाह बढ़ सकता है। बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं। इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा: चौथा विषय अफगानिस्तान में गंभीर humanitarian crisis का है। Financial और Trade flows में रूकावट के कारण अफ़ग़ान जनता की आर्थिक विवशता बढ़ती जा रही है। साथ में COVID की चुनौती भी उनके लिए यातना का कारण है।

अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन समावेशी नहीं
इस संदर्भ में हमें चार विषयों पर ध्यान देना होगा। पहला मुद्दा यह है कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन inclusive नहीं है, और बिना समझौते  के हुआ है। दूसरा विषय है कि अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा, तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और अतिवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा। अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है।अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम का सबसे अधिक प्रभाव हम जैसे पड़ोसी देशों पर होगा और इसलिए, इस मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और सहयोग आवश्यक है।

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