नई दिल्ली: पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी को जिम्मेदारी देना कांग्रेस का एक मास्टरस्ट्रोक है और चन्नी पंजाब के दलित चेहरे के रूप में उभर रहे हैं। सीवोटर-एबीपी-आईएएनएस ट्रैकर में सामने आए निष्कर्षो से यह जानकारी मिली है। ट्रैकर के अनुसार, 59.4 फीसदी लोगों ने कांग्रेस आलाकमान की ओर से चुनाव से ठीक पहले पंजाब में सीएम बदलने के फैसले को सही ठहराया, जबकि 40.6 फीसदी ने कहा कि पार्टी ने यह कदम ठीक नहीं है।
सर्वे के दौरान 53.6 फीसदी ने कहा कि अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने से कांग्रेस को पंजाब में फायदा होगा, जबकि 46.4 फीसदी ने इसका उत्तर 'नहीं' में दिया।सीवोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने कहा, '1990 के दशक में मायावती दलितों की शक्ति प्रतीक बन गईं थी। चन्नी पंजाब का मायावती आंदोलन ही हैं।'
'पंजाब में सबसे बड़े लूजर (खोने वाला) नवजोत सिंह सिद्धू हैं'
देशमुख ने कहा कि चन्नी दलितों में सुपरहिट हैं, लेकिन जाट सिख अब कांग्रेस से दूर जा रहे हैं और आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बीच बंटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी पंजाब में थोड़ी आगे है, लेकिन सीएम का चेहरा पेश किए बिना बढ़त को जीत की स्थिति में बदलना मुश्किल होगा। देशमुख ने कहा कि पंजाब में सबसे बड़े लूजर (खोने वाला) नवजोत सिंह सिद्धू हैं।
59.9 फीसदी ने चन्नी को पंजाब के सीएम के रूप में सही विकल्प बताया
ट्रैकर के अनुसार, 59.9 फीसदी ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के सीएम के रूप में सही विकल्प बताया, जबकि 40.1 फीसदी ने कहा कि नहीं वह सही विकल्प नहीं हैं।हालांकि, केवल 39.3 प्रतिशत ने कहा कि सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़कर कांग्रेस पंजाब में जीतेगी, जबकि 60.7 प्रतिशत ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है।
42.1 फीसदी लोगों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह से आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा होगा। यह स्पष्ट है कि अमरिंदर और सिद्धू की लड़ाई कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है, जबकि चन्नी यहां पंजाब में कांग्रेस के चेहरे के रूप में मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं।
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