चारधाम प्रोजेक्ट के तहत सड़कों के चौड़ीकरण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत में केंद्र सरकार के पक्ष को रखते हुए एजी के के वेणुगोपाल ने कहा कि रणनीतिक और सामरिक दृष्टि के मद्देनजर सड़कों का चौड़ीकरण जरूरी है। अदालत पांच मीटर की तय सीमा को बढ़ाकर 10 मीटर करे। लेकिन इस प्रोजेक्ट के खिलाफ सिटीजन फॉरग्रीन दून का कहा कि हिमालय क्षेत्र संवेदनशील है लिहाजा इस सीमा को नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। एनजीओ के पक्ष को सुनने के बाद जस्टिस चंद्रचूण ने कहा कि देश की सुरक्षा के प्रश्न को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने चीनी खतरे को बताया
एजी के के वेणुगोपाल ने कहा कि सेना चीनी सीमा तक फीडर सड़कों का निर्माण कर रही है जिसे ग्रीन लाइन कहा जाता है। अभी तक टैगलांग ला और कांग ला पास जैसे स्थानों के लिए अधिकांश रास्ते कच्ची पटरियाँ हैं जो उचित सड़कें नहीं हैं। दूसरी तरफ जबरदस्त निर्माण है, वह है चीनी पक्ष..हेलीपैड, टैंकर, मिसाइल लांचर, रेलवे लाइन। ये फीडर रोड हृषिकेश से गंगोत्री तक हैं। इस परियोजना का सामरिक महत्व है और परिचालन महत्व के लिए आवश्यक है। सड़क के इस खंड का निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। इन सड़कों को चौड़ा और मजबूत बनाने की जरूरत है। बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सामरिक महत्व का है। तोपखाने, रॉकेट लांचर और टैंक ले जाने वाले ट्रकों को इन सड़कों से गुजरना पड़ सकता है।
चारधाम राजमार्ग परियोजना मामला:
एनजीओ "सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून" ने की है अपील
एनजीओ "सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून" की छत्रछाया में पर्यावरणविदों ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि इससे पर्यावरणीय मुद्दे पैदा होंगे, सड़क चौड़ीकरण से भूगोल और क्षेत्र की स्थिरता प्रभावित होगी, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि हम विवाद नहीं कर सकते कि ये फीडर सड़कें हैं। सीमा सड़कों को अपग्रेड करने की आवश्यकता है। हम सुरक्षा चिंताओं की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं"एनजीओ ने कहा कि हिमालय इलाका इस तरह की निर्माण गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता.. पहाड़ों में विस्फोट। घाटी अब घाटी में फेंके जाने वाले कचरे और कचरे को नहीं ले सकती है"
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