रायपुर: छत्तीसढ़ सरकार ने राज्य में सर्तकता और सावधानी के साथ अब सप्ताह में छह दिन दुकानें खोलने का फैसला किया है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को यहां बताया कि राज्य में कोविड-19 के नियंत्रण और लॉकडाउन के बाद ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में बुधवार को उच्च स्तरीय बैठक में विचार-विमर्श किया गया। बैठक में सभी मंत्री और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री निवास में आयोजित बैठक में विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने और समाज के सभी वर्गों को राहत देने के उपायों पर चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि लोगों की दिक्कतों का देखते हुए अब वैवाहिक कार्यक्रम की अनुमति तहसीलदार देंगे। अनुमति देने की प्रक्रिया को सरल और आसान बनाया जा रहा है। रेड जोन और कंटेंनमेंट एरिया में कोई छूट नहीं मिलेगी। भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार मॉल, सिनेमा घर, राजनैतिक सभाएं, सामाजिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध पूर्व की तरह ही जारी रहेगा।
सप्ताह में 6 दिन खुलेंगी दुकानें
उन्होंने बताया कि बैठक में दुकानों को अब सप्ताह में छह दिन खोलने का निर्णय लिया गया। सभी दुकानों और बाजारों में शारीरिक दूरी की बंदिशें पूर्व की तरह लागू रहेंगी। सप्ताह में छह दिन दुकान खुलने से वहां एक साथ होने वाली भीड़ से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि व्यवसायिक-व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने से रोजगार के साथ अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में ज्यादा से ज्यादा उद्योगों को भी शुरू करने के उपायों पर विचार किया गया। लॉकडाउन के बाद राज्य के 1371 कारखानों में दोबारा काम शुरू हो गया है। इन कारखानों में एक लाख तीन हजार श्रमिक काम पर लौट चुके हैं।
पृथक-वास केंद्रों में की गई है मनोरंजन की व्यवस्था
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने बैठक में पृथक-वास केंद्रों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के मनोरंजन के लिए टेलीविजन, रेडियो आदि की व्यवस्था के निर्देश दिया है। उन्होंने श्रमिकों को मनोवैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध कराने के लिए मनोवैज्ञानिकों की सेवाएं भी लेने को कहा है। मुख्यमंत्री ने गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से पृथक-वास केंद्रों में योग या अन्य प्रेरक गतिविधियां संचालित करने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने तनाव कम करने पूरे दिन की व्यवस्थित दिनचर्या तैयार कर इसका पालन सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया।
श्रमिकों को राशन और रोजगार की चिंता से मुक्त करने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि राज्य वापस आने वाले श्रमिकों को राशन और रोजगार की चिंता से मुक्त करने की जरूरत है। इसके लिए तत्काल उनके राशन कार्ड और मनरेगा जॉब-कार्ड बनवाए जाएं। बघेल ने कहा कि कुशल और अर्धकुशल श्रमिकों की सूची तैयार कर स्थानीय उद्योगों को उपलब्ध कराया जाए। इससे उद्योगों को जरूरत का मानव संसाधन मिलने के साथ ही श्रमिकों को नियमित रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के नियंत्रण और लॉकडाउन की परिस्थितियों में जन-जीवन को राहत पहुंचाने छत्तीसगढ़ में अच्छा काम हुआ है। सभी विभागों ने बेहतर समन्वय के साथ काम करते हुए जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाई है। शहरी क्षेत्रों में कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन के साथ गांव-गांव में लोगों को जागरूक करने के लिए शासन-प्रशासन ने मुस्तैदी से काम किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की जांच, इलाज और रोकथाम के लिए जितनी भी राशि की जरूरत होगी, स्वास्थ्य विभाग को प्राथमिकता से उपलब्ध करायी जाएगी।
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