नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में नवरात्र के मौके पर 'राम वन गमन पर्यटन परिपथ' की शुरूआत होने जा रही है। परियोजना के प्रथम चरण में श्री राम के वन मार्ग पर पड़ने वाले नौ स्थानों को विकसित किया जाएगा। इसके तहत सीतामढ़ी, हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चांदखुरी, राजिम, सिहावा, जगदलपुर और रामाराम स्थलों का विकास किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में भगवान राम का ननिहाल
छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। ऐसी मान्यता है कि उनकी माता कौशल्या इसी प्रदेश की रहने वाली थी। राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा 'भगवान राम ने वनवास के दौरान अपना अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में बिताया था। भगवान राम और माता कौशल्या से जुड़ी यादों को संजोने के लिए सरकार ने इस परियोजना की कल्पना की है, जहां भक्त और पर्यटक राम वन गमन पर्यटन सर्किट पर अपने हर कदम के साथ देवत्व के सार को महसूस कर सकेंगे।' राज्य ने "बात है अभिमन की, छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान की"का अभियान भी चलाया है।
परियोजना के बारे में बात करते हुए छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के प्रबंध निदेशक यशवंत कुमार ने कहा 'हमारी मुख्य प्राथमिकता राम वन गमन पथ के पहचान किए गए स्थलों को प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करना है। महामारी को ध्यान में रखते हुए, पर्यटकों को घरेलू पर्यटन के लिए प्रेरित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं और राम वन गमन पर्यटन सर्किट पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव होगा।'
चंदखुरी गांव में है माता कौशल्या का है मंदिर
रायपुर से लगभग 25 किमी दूर स्थित चंदखुरी गांव में स्थित प्राचीन कौशल्या माता मंदिर है। वहां पर संगीत और नृत्य समारोह का आयोजन किया जाएगा। भगवान राम और छत्तीसगढ़ में उनके वनवास की कहानी पर एक लेजर शो और एलईडी मैपिंग का भी आयोजन होगा। सरकार की योजना है कि इसके जरिए छत्तीसगढ़ को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटकों के लिए एक अहम पर्यटन स्थान बनाना है।
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