छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है राज्य के 10 जिलों के विकास के मापदंड में स्थानीय सांस्कृतिक कारकों को भी शामिल किया जाए। छत्तीसगढ़ के 10 जिले आकांक्षी सूची में आते हैं जिनमें से 7 बस्तर संभाग से हैं। पत्र में मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया है कि इन जिलों के विकास के लिए स्थानीय बोली में शिक्षा, एनीमिया और मलेरिया की रोकथाम, वन उपजों की समर्थन मूल्य पर खरीद, लोककला का प्रचार–प्रसार, जैविक खेती, आदिवासियों के अधिकार जैसे मुद्दों को ‘ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम’ में शामिल किया जाए.
पत्र में नक्सल प्रभावित जिलों का जिक्र
सीएम बघेल ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री को जानकारी दी है कि इन सभी जिलों में विकास के इन मानकों पर अच्छा प्रदर्शन किया है. जिससे ये साबित होता है कि किसी भी जिले के विकास में वहां के लोगों के सांस्कृतिक उत्थान को भी बराबरी का महत्व दिया जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ के 10 आकांक्षी जिलों में से 7 जिले वामपंथी उग्रवाद से जूझ रहे हैं और अनुसूचित जनजाति के लोगों की आबादी यहां सबसे ज्यादा है. इन जिलों की वो आबादी जो जंगल या ग्रामीण इलाकों में बसी हुई है उनकी तरक्की में स्थानीय संस्कृति और परम्परा का समागम काफी महत्वपूर्ण होता है. यहां तक कि नीति आयोग भी इन जिलों के मूल्यांकन के दौरान इन कारकों को ध्यान में रखता है. ऐसे में इन आदिवासियों के बीच तरक्की के लिए उम्मीद, आत्मविश्वास और समरसता का भाव बनाए रखने के लिए सांस्कृतिक विकास को ध्यान में रखना होगा.
क्या है आकांक्षी जिले?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में 2018 में देश भर के 112 जिले जो आजादी से लेकर अब तक विकास की दौड़ में पिछड़ गए उन्हें आकांक्षी जिलों का नाम दिया था. इसका मकसद इन जिलों में केंद्र और राज्य सरकारों के साझा प्रयासों से तरक्की के रास्ते पर लाना है. इन जिलों की हर महीने नीति आयोग रेटिंग भी जारी करता है. ये रेटिंग 49 बिंदुओं पर आधारित होती है. इन्हीं 49 ’की परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स‘ में सीएम ने स्थानीय सांस्कृतिक मुद्दों को शामिल किए जाने की मांग की है. छत्तीसगढ़ के 10 जिले इस सूची में आते हैं.
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