नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बीते करीब नौ महीने के तनाव के बाद पैंगोंग झील इलाके से सैनिकों के पीछे हटने को लेकर हुए समझौते के बाद कांग्रेस लगातार सरकार पर आरोप लगा रही है कि उसने चीन के समक्ष आत्समर्पण कर दिया है। पार्टी के नेता राहुल गांधी के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने इस पर सवाल उठाए हैं और चीन के इरादों को लेकर चेताया।
उन्होंने रविवार को कहा कि सैनिकों का पीछे हटना अच्छा है, क्योंकि इससे तनाव कम होगा। लेकिन ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए। पूर्व रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ऐसे समय में राष्ट्रीय सुरक्षा को उचित प्राथमिकता नहीं दे रही है, जबकि चीन आक्रामक हो रहा है और पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद का प्रोत्साहन लगातार जारी है।
कांग्रेस नेता का यह बयानय केंद्र सरकार की ओर शुक्रवार को यह कहे जाने के बाद आया है कि चीन के साथ सैनिकों को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से पीछे हटने को लेकर हुए समझौते में भारत किसी इलाके को लेकर कहीं नहीं 'झुका' है। हालांकि कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पैंगोंग झील से सैनिकों को पीछे हटाना आत्मसमर्पण करने जैसा है, क्योंकि पांरपरिक रूप से इन इलाकों पर भारत का नियंत्रण रहा है। उन्होंने कहा, यहां तक कि 1962 में भी गलवान घाटी के भारतीय क्षेत्र होने पर कोई विवाद नहीं था।
(तस्वीर साभार: AP)
चीन के इरादों को लेकर चेताते हुए पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सैनिकों की इस वापसी और बफर जोन बनाने के महत्व को नहीं समझ रही है। चीन किसी भी समय पाकिस्तान की सियाचिन में मदद करने के लिए खुराफात कर सकता है।
पूर्व रक्षा मंत्री ने रक्षा बजट में मामूली वृद्धि को लेकर भी सरकार को घेरा और इसे देश के साथ 'विश्वासघात' करार दिया। उन्होंने कहा कि देश चीन और पाकिस्तान की ओर से गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है और सशस्त्र बल बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की मांग करते रहे हैं। लेकिन पिछले साल के संशोधित रक्षा बजट के मुकाबले इस साल बजट में मामूली वृद्धि की गई है। यह देश के साथ विश्वासघात है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने चीन के 'तुष्टिकरण' और यह संदेश देने के लिए रक्षा बजट नहीं बढ़ाया कि वह संघर्ष नहीं चाहती है।
(तस्वीर साभार: AP)
कांग्रेस नेता ने जानना चाहा कि भारत और चीन की सीमा पर अप्रैल 2020 के मध्य से पहले की स्थिति बहाल हो, इसे लेकर सरकार की क्या योजना है? उन्होंने कहा कि सरकार को सीमा पर यथास्थिति बहाल करने के मसले पर देश और जनता को भरोसे में लेना चाहिए। इस बारे में फैसला लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों से परामर्श किया जाना चाहिए और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखना चाहिए।
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