नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति यूं तो अप्रैल के आखिर से ही बनी हुई है, पर 15 जून को हुए खूनी संघर्ष के बाद दोनों देशों में तनाव चरम पर है, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। इस बीच भारत-चीन सैन्य टकराव को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसके मुताबिक भारतीय सैनिकों का मुकाबला चीन के सामान्य सैनिकों से नहीं, बल्कि मार्शल आर्ट में माहिर 'हत्यारों' से हुआ था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने इस झड़प से कुछ दिन पहले ही अपनी माउंटेन डिविजन और मार्शल आर्ट में माहिर इन लड़ाकों को एलएसी के नजदीक तैनात किया था। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के इस माउंटेन डिविजन में तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती किए गए लड़ाके और नियमित सैनिक भी शामिल थे। ये पहाड़ों पर चढ़ाई और मार्शल आर्ट में माहिर व घातक हमालवर होते हैं। एलएसी पर हिंसक वारदातों के लिए इन्हें ही जिम्मेदार समझा जा रहा है।
दरअसल, चीन अच्छी तरह जानता है कि भारतीय रक्षा तंत्र 1962 के जैसा नहीं है और अब परंपरागत युद्ध को लेकर पहले जैसे हालात भी नहीं हैं। ऐसे में उसने लद्दाख में अपनी नीतियों को बड़ा बदलाव लाते हुए यहां बड़ी संख्या में मार्शल आर्ट में माहिर लड़ाकों की भर्ती की है। ये लड़ाके मार्शल आर्ट के अलावे लाठी-भाले, डंडा और रॉड के जरिये संघर्ष में भी माहिर होते हैं और 15 जून की ही झड़प को देखा जाए तो उसमें भी चीनी पक्ष द्वारा कील लगे लोहे के रॉड इस्तेमाल किए जाने की बात भी सामने आई है, जिसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर सामने आई हैं।
'पीपुल्स डेली' की रिपोर्ट के अनुसार, मूलत: तिब्बत के पठार वाले इलाके से ताल्लुक रखने वाले ये लड़ाके छद्म युद्ध में भी माहिर हैं और चीनी सेना को नुकीली चीज या लाठी, डंडों से लड़ने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। एलएसी पर तैनात पीएलए की इस माउंटेन डिविजन में चीन के माउंट एवरेस्ट ओलंपिक टॉर्च रिले टीम के पूर्व सदस्यों को भी शामिल किया गया है, जो चीनी सैनिकों को पहाड़ पर चढाई के गुर सिखाते हैं। चीन इनके जरिये सीमा पर टकराव बढ़ाने की फिराक में है, जिसे देखते हुए भारत को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।
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