नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच तनातनी बनी हुई है, वहीं अब चीन नेपाल के साथ लिपुलेख में भारत के सीमा विवाद के मामले में भी हस्तक्षेप करता नजर आ रहा है। उत्तराखंड के लिपुलेख में भारत ने अपने सीमा क्षेत्र में एक अस्थाई निर्माण कार्य किया है, जिसे लेकर चीन ने आपत्ति जताई है।
बताया जाता है कि भारत ने जबसे यहां सड़क का उद्घाटन किया है, चीन की भौंहें तभी से तनी हुई हैं, भले ही लिपुलेख पर नेपाल के साथ भारत के विवादों के बीच उसने औपचारिक तौर पर यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी कि यह भारत और नेपाल के बीच का मामला है। लिपुलेख में भारतीय निर्माण को लेकर चीन की आपत्ति के बाद भारत ने भी कड़ा रुख अपनाया है और यहां गश्त बढ़ा दी है, जिसके बाद चीन की तरफ से भी इस तरह की गतिविधियां देखी जा रही है।
रिपोर्ट् के अनुसार, चीन उन इलाकों में भी भारतीय गतिविधियों पर सवाल उठा रहा है, जो कभी विवादित नहीं रहे। हमारे सहयोगी समाचार-पत्र 'नवभारत टाइम्स' के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि चीन ने सीमा से तकरीबन 800 मीटर दूर बनाए गए अस्थाई शिविर पर सवाल उठाए हैं, जबकि दूसरी तरफ सीमा से महज 200 मीटर की दूरी पर उसने खुद इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाए हैं।
बताया जा रहा है कि सीमा पर भारत ने जबसे अपने क्षेत्र में बुनियादी संरचना के विकास पर जोर दिया है, चीन को आपत्ति होने लगी है और तभी से किसी न किसी बहाने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सीमा क्षेत्र में 61 सड़कें बनाने का काम शुरू हुआ, जिसमें लगभग 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। भारतीय क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण से न केवल स्थानीय लोगों के लिए आवाजाही सुगम हुई है, बल्कि सुरक्षाबलों की आवाजाही के हिसाब से भी यह अहम है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन निर्माण कार्यों को लेकर चीन की भौहें तनी हुई हैं।
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