नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के समीप अपने अंदरूनी इलाकों में चीन एक बार फिर गतिविधियां करने लगा है। वह एलएसी के समीप अपने भीतरी इलाकों में सैन्य स्थिति मजबूत करने में जुटा है। इसके अलावा वह एलएसी पर अपने सनिकों को एक जगह से दूसरे सैन्य ठिकाने पर पहुंचा रहा है। एएनआई के साथ बातचीत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह बात कही। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की यह गतिविधियां ऐसे समय हो रही हैं जब दोनों देशों के बीच गत 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक घटना के बाद करीब एक साल तक तनाव रहा।
बातचीत के बाद पीछे हटने पर बनी सहमति
करीब नौ दौर की सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत के बाद दोनों देश तनाव घटाने के लिए विवाद वाली जगहों से पीछे हटने का फैसला किया। लेकिन चीन की यह गतिविधि यह इशारा करती है कि उसकी मंशा फिलहाल सीमा पर तनाव को फिलहाल बनाए रखने की है। चीन एलएसी से करीब 25 से 120 किलोमीटर दूर अपने भीतरी इलाकों में पिछले साल हेलिपैड, हथियार-गोला बारूद रखने की जगह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की तैनाती के लिए अस्थाई व्यवस्था की थी लेकिन मौसम सुधरने के बाद वह इन अस्थाई निर्माणों को स्थाई ठिकानों में बदल रहा है।
अग्रिम मोर्चे पर ताजा अतिक्रमण नहीं
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया, 'पूर्वी लद्दाख के अग्रिम मोर्चों पर चीन की तरफ से कोई ताजा अतिक्रमण या उकसाने वाली कार्रवाई नहीं हुई है लेकिन चीन विवाद वाली जगहों से थोड़ा पीछे अपनी सैनिकों की अच्छी-खासी संख्या रखे हुए है। एलएसी के समीप अपने सैन्य ठिकानों को उसने मजबूत बनाया है।'
अंदरूनी इलाके में गतिविधि कर रहा चीन
अधिकारी ने कहा, 'रूतोग कंट्री इलाका जो कि एलएसी से करीब 100 किलोमीटर दूर है। यहां हाल के दिनों में काफी गतिविधि देखी गई है। सड़क एवं अन्य कनेक्टिविटी ज्यादा बेहतर होने की वजह से जीन एलएसी पर जल्दी अपनी सेना पहुंचा सकता है।' बता दें कि पिछले साल गत पांच-छह मई को पैंगोंग त्सो लेक के उत्तरी हिस्से में दर्जनों भारतीय और चीनी सैनिक आपस में उलझ गए थे। इसके बाद नौ मई को भी उत्तर सिक्किम के नाकुला में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हल्की झड़प हुई।
15 जून को गलवान घाटी में हुई खूनी संघर्ष
दोनों देशों के सैनिकों के बीच गत 15 जून को गलवान घाटी में खूनी संघर्ष देखने को मिला। यहां हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए। हिंसक टकराव में चीनी सैनिकों को भी नुकसान पहुंचा। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। भारत और चीन ने एलएसी के अग्रिम मोर्चों पर बड़ी संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती कर दी। दोनों देशों की वायु सेना एलएसी के समीप एयरबेस पर अलर्ट हो गईं। इस दौरान दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत भी चलती रही। कई दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों के अधिकारी तनाव एवं विवाद वाले इलाकों को खाली करने पर सहमत हुए।
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