एलएसी के नजदीक इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के साथ अब चीन तिब्बतियों की रिकॉर्ड संख्या में सेना में भर्ती कर रहा है, एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने इस साल पिछले साल से 20 फ़ीसदी ज्यादा तिब्बतियों को पीएलए में शामिल किया है। इतना ही नहीं चीन में 6 से 9 साल के तिब्बती बच्चों को शुरू से ही सेना से जुड़ी शिक्षा देने के लिए खास स्कूल खोले जा रहे हैं।
एलएसी के आसपास मॉडल गांव में इन तिब्बतियों के लिए कई ऐसी योजनाएं भी लागू की जा रही है जिससे वह ना सिर्फ यहां बस जाएं बल्कि पीएलए में शामिल होकर चीन की सेना की ताकत बने। इंटेलिजेंस इनपुट के मुताबिक पीएलए ने इस साल सबसे ज्यादा लगभग 5 हजार तिब्बती युवाओं को भर्ती किया है।
चीन को लगता है कि तिब्बतियों को अपनी फौज में भर्ती करने से उसे तिब्बत के एकीकरण में मदद मिलेगी और एलएसी के आसपास के इलाके में यह सैनिक बेहतर ढंग से डटे रह सकते हैं। पिछले दो सालों में भारत के साथ तनाव के बीच चीनी फौज को पहली बार लंबे वक्त के लिए लद्दाख की विषम ऊंचाइयों पर टिके रहना पड़ा। जिसके चलते ठंड की वजह से चीन की रेगुलर सेना के कई जवान कमजोर दिखाई दिए, जबकि तिब्बत के युवा इन परिस्थितियों में ज्यादा मजबूत साबित हुए।
भारत के साथ एलएसी पर टकराव को देखते हुए चीन ने तिब्बती सैनिकों को पीएलए में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल करने की रणनीति बनाई है। इसके लिए एलएसी के करीब नइनचि में स्कूली बच्चों के लिए समर कैंप के बहाने सेना से रूबरू कराया गया है। इन कैंप में 8 से 16 साल के बीच की उम्र के बच्चों को मिलिट्री स्टाइल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वह आसानी से पीएलए में शामिल किया जा सके।
पिछले साल चीनी सेना ने सिक्किम और भूटान के नजदीक चुंबी वैली में तिब्बतन आर्मी की पहली यूनिट डेप्लॉय की थी जिसे स्पेशल तिब्बतन आर्मी यूनिट का नाम दिया गया तब से अब तक चीन लगातार तिब्बती भर्ती पर जोर दे रहा है
तिब्बती फौजियों का विश्वास हासिल करने के लिए इनकी ट्रेनिंग पूरी होने पर पीएलए इन्हें बौद्ध धर्म गुरुओं से आशीर्वाद भी दिला रही है। तिब्बत को पूरी तरह से चीन में शामिल करने के लिए यहां आदर्श गांव बसा कर चीन के बाकी इलाकों से लोगों को यहां बसाने की कोशिश भी की जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन की यह रणनीति कारगर साबित नहीं होगी।
पिछले 6 महीनों में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में तकरीबन 500 से ज्यादा तिब्बतियों को सेना में भर्ती किया गया। इसमें 300 से ज्यादा कॉलेज स्टूडेंट्स है। चीन पहले ही तिब्बत के इलाके में मैंडेरिन भाषा को प्राथमिक भाषा के तौर पर स्कूलों में लागू कर चुका है। तिब्बती बच्चों को मैंडेरिन भाषा सिखाने के अलावा आगे की पढ़ाई के लिए बीजिंग भेजा जा रहा है। 10 से 18 साल के बच्चों को शिकान्हे मिलिट्री कैंप में मैंडेरिन, बोधी और हिंदी भाषा की ट्रेनिंग के लिए चुना गया है। इससे पहले चीन ने अपनी मिलिशिया फोर्स (नागरिक सेना) में तिब्बतियों की भर्ती को जरूरी बना लिया था। चीन पहले ही फरमान जारी कर तिब्बत में हर घर से 18 से 40 साल के बीच की उम्र के एक शख्स को चीनी मिलिशिया में शामिल होने को अनिवार्य कर चुकी है।
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