आज सवाल पब्लिक का है कि चीन की प्रोपेगेंडा फिल्म भारत के विपक्ष को क्यों पसंद आती है? राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर हर भारतीय का चिंतित होना लाजिमी है, लेकिन भारत का पक्ष सामने आए बिना प्रतिक्रिया देना क्या नासमझी नहीं है? गलवान में शान से लहराते तिरंगे को देखिए। भारतीय सैनिकों के हाथ में मौजूद SIG Sauer 716 अमेरिकी राइफल्स देखिए। बर्फीली घाटी में महसूस कीजिए भारत के सैनिकों का जोश, जबकि इसके ठीक उलट चीन के प्रोपेगेंडा मशीन में बने वीडियो को देखें। इस वीडियो से चीन माइंड गेम खेल रहा था कि जैसे उसने जून 2020 में हुई भारत-चीन झड़प वाली जगह पर अपना झंडा फहरा दिया हो।
चीन के झूठ को पकड़ना मुश्किल हो सकता है नामुमकिन नहीं। और वो झूठ सबसे पहले आपके चैनल टाइम्स नाउ नवभरात ने पकड़ लिया। चीन के वीडियो को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि वहां बर्फ बहुत ज्यादा नहीं दिख रही। जबकि गलवान में जहां झड़प हुई थी..वो जगह अमूमन इस वक्त बर्फ से ढकी होती है, जबकि चीन के वीडियो में बर्फ की मात्रा बेहद कम दिख रही है। हां ये जरूर संभव है कि चीन ये अपना झंडा वहां फहराया हो, जो हिस्सा उसके कब्जे वाला है। आप याद कीजिए चीन ने गलवान के अपर पार्ट, जो उसके कब्जे में है, वहां कंटोनमेंट जोन जैसा इलाका बनाया था। हो सकता है ये वीडियो वहीं का हो। लेकिन ये भी दावे से नहीं कहा जा सकता। हो सकता है चीन ने वीडियो, क्रोमा पर शूट कर लिया हो। क्रोमा मतलब लोकेशन को बाद में कट-पेस्ट कर देना। तो इस बात की भी आशंका है कि उसे प्रोपेगेंडा के तहत सोशल मीडिया पर डाल दिया। क्लेम तो कुछ किया ही नहीं कि किस जगह का वीडियो है, जो लोग दिख रहे हैं वो कौन हैं? तो इस पर क्या कहा जाए।
सवाल है कि चीन का ये प्रोपेगेंडा वीडियो कहां का हो सकता है ? भारतीय रक्षा सूत्रों के मुताबिक चीन का ये वीडियो गलवान घाटी क्षेत्र में उसके नियंत्रण वाले इलाके में बनाया गया हो सकता है। LAC पर भारत-चीन के बीच बफर जोन है। चीन ने अपने नियंत्रण वाले इलाके में 2020 में हुई झड़प वाली जगह से तकरीबन 1.5 किलोमीटर पीछे ये वीडियो बनाया हो, ये हो सकता है। ये जगह पेट्रोलिंग प्वाइंट -14 यानी PP-14 से 2 किलोमीटर पीछे हो सकती है।
चीन के प्रोपेगेंडा वीडियो को जवाब देने वाली भारतीय सैनिकों की तस्वीर आज सामने आई, लेकिन उसके पहले ही राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 2 जनवरी को राहुल ने ट्वीट किया था - 'गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है। चीन को जवाब देना होगा। मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!'
राहुल ने चीन के मुद्दे पर सरकार को घेरा तो पूरी कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार से जवाब मांगने लगी। हालांकि, राहुल जब ये राजनीति कर रहे हैं तो उसके खिलाफ कांग्रेस पार्टी के ही सीनियर नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने नसीहत दे दी। सिंघवी ने ट्वीट किया, 'मैं भारतीय मीडिया से अनुरोध करूंगा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और ग्लोबल टाइम्स के प्रोपेगेंडा मशीनरी को गंभीरता से न लें। ये कुछ नहीं, डिजिटल युग में एक मजाक है। ये एक ऐसा साइकोलॉजिकल ऑपरेशन है जिसे कुछ मिनट के गूगल सर्च से बेनकाब किया जा सकता है।'
ये बात सच है कि चीन भारत के खिलाफ माइंड गेम खेल रहा है। लेकिन सवाल पब्लिक का चीन से आ रहे खतरे को लेकर भी है। LAC पर पैंगोंग झील के पास अपने नियंत्रण वाले इलाके में एक पुल का निर्माण कर रहा है। चीन तकरीबन 2 महीनों से इस पुल को बना रहा है। पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को ये पुल जोड़ेगा, जिससे चीनी सेना दोनों तरफ कम से कम समय में पहुंच सकेगी। कहा जा रहा है कि इस पुल से दोनों किनारों की दूरी पहले से 80 फीसदी कम हो जाएगी। विपक्ष खासकर राहुल गांधी ने इस पुल को लेकर भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया है। उधर, AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि चीन बॉर्डर संकट पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।
अब जो सवाल पब्लिक का है
1. गलवान में तिरंगे की तस्वीर के बाद राहुल गांधी चुप क्यों हैं ?
2. क्या भारत का पक्ष सामने आए बिना विपक्ष की बयानबाजी नासमझी नहीं ?
3. भारत का विपक्ष चीन के माइंड गेम का शिकार हुआ ?
4. क्या चीनी हरकतों को सरकार नजरअंदाज कर रही है ?
5. क्या चीन से आंख में आंख डालकर जवाब देने का टाइम आ गया है ?
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