Assam: CM हेमंत बिस्वा सरमा का बड़ा बयान, बोले- दूसरा कश्मीर बनने की राह पर है असम'

असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि असम अगला कश्मीर बनने की राह पर है। एक कार्यक्रम के दौरान सरमा ने यह बयान दिया।

CM Himanta Biswa Sarma says Assam is going to become another Kashmir
CM हेमंत बिस्वा बोले- दूसरा कश्मीर बनने की राह पर है असम 
मुख्य बातें
  • असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने दिया बड़ा बयान
  • आरएसएस की बैठक में बोले सरमा- कश्मीर बनने की राह पर है असम
  • सरमा ने दूरस्थ इलाकों में लोगों की मदद के लिए आरएसएस से किया आग्रह

सिलचर: असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने बड़ा बया दिया है। सरमा ने कहा है कि असम अगला कश्मीर बनने की राह पर है।  उन्होंने कहा कि एक वर्ग की आक्रामकता के  कारण टी बेल्ट और सीमावर्ती इलाकों मे रहने वाले हिंदू विलुप्त होने की कगार पर हैं। सरमा ने राज्य के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले एक विशेष समुदाय की 'आक्रामकता' से हिंदुओं को बचाने के लिए आरएसएस से मदद मांगी है।

विलुप्त होने के कगार पर हिंदू- सरमा

बराक घाटी के दो दिवसीय दौरे के लिए शनिवार की सुबह सिलचर हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद, सरमा सीधे सिलचर में आरएसएस कछार जिला संगठनात्मक मुख्यालय, केशव निकेतन गए। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सरमा ने आरएसएस के प्रमुख संगठनात्मक लोगों के साथ केशव निकेतन में बंद कमरे में हुई अपनी मुलाकात के दौरान कहा, 'असम एक और कश्मीर बनने की राह पर है। लोगों के एक वर्ग द्वारा आक्रामकता के कारण बहुत लोग खतरे में हैं। साथ ही, राज्य के टी बेल्ट और दूर-दराज के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले हिंदू भी बड़े पैमाने पर आक्रमण के कारण विलुप्त होने के कगार पर हैं।'

हिंदुओं को करें एकजुट

मुख्यमंत्री ने आरएसएस के पदाधिकारियों से कहा, 'मैं आरएसएस के कार्यकर्ताओं से आग्रह करता हूं कि वे क्षेत्रों में जाएं और संस्थानों को खतरे से बचाने के लिए हिंदुओं को एकजुट करें। आप ऐसा इसलिए कर सकते हैं क्योंकि आपका जमीनी स्तर का संगठन है और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले आम लोगों के साथ आपका मजबूत रिश्ता है। मैं संघ से इस दिशा में सरकार की मदद करने का अनुरोध करता हूं'

आरएसएस से किया आग्रह

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, 'यह सच है कि राज्य में कुछ लोग हैं जो सीएए और एनआरसी के कट्टर विरोधी हैं। हालांकि, चीजें बदलने लगी हैं। हम उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि सीएए और एनआरसी असम और असमिया लोगों के हितों के खिलाफ नहीं हैं। हाल ही में मुझसे मिले बुद्धिजीवियों के सदस्यों ने मुझे यह संदेश दिया कि बंगाली हिंदू कभी भी असमिया समुदाय के लिए खतरा नहीं हैं। असम के लोग अब वास्तविकता को समझते हैं।'

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