Compulsory Military Service for Youths : दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां युवाओं को अपने जीवन के कुछ साल अनिवार्य रूप से सेना में देने पड़ते हैं। भारत में भी समय-समय पर सेना में युवाओं की अनिवार्य सेवा के बारे में चर्चा होती रही है। अब रक्षा मंत्रालय ने सेना में युवाओं की अनिवार्य सेवा के बारे में संसद को बताया है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को संसद को बताया कि सशस्त्र सेनाओं में युवाओं की अनिवार्य सेवा के लिए सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई है। यही नहीं अग्निपथ योजना को लागू करने में सैनिक स्कूलों की कोई भूमिका नहीं है।
100 नए सैनिक स्कूल बनाने को सरकार ने दी है मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि कि सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ)/निजी स्कूलों/राज्य सरकारों के साथ मिलकर देश में 100 नए सैनिक स्कूल बनाए जाने को मंजूरी दी है। यह योजना मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के पास उपलब्ध है। सैनिक स्कूलों में दाखिले के लिए सशस्त्र सेनाओं की तरफ से भर्ती रैलियां आयोजित की जाती हैं। इन रैलियों के जरिए पूरे देश को कवर किया जाता है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में यह लिखित जवाब दिया। सांसद अरुण कुमार सागर एवं अन्य ने इस बारे में सरकार से जानकारी मांगी थी।
तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना
तीनों सेनाओं में युवाओं की भर्ती के लिए सरकार ने गत 16 जून को अग्निपथ योजना पेश की। इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले जवानों को 'अग्निवीर' के नाम से जाना जाएगा। ये जवान तीनों सेनाओं में चार साल तक अपनी सेवा देंगे। चार साल की सेवा के बाद सरकार 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थायी सेवा देगी जबकि बाकी जवानों को केंद्र एवं राज्य सरकारों के उपक्रमों एवं विभागों की भर्ती में वरीयता दी जाएगी।
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इस योजना का युवकों ने किया विरोध
इस योजना का विरोध भी हुआ है। बिहार सहित कई राज्यों में युवक सड़कों पर आ गए और इस योजना का विरोध किया। हालांकि, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों एवं रक्षा मंत्री की ओर से भ्रम एवं गलत तथ्यों को दूर किया गया। इस योजना पर विपक्ष संसद में चर्चा कराए जाने की मांग कर रहा है।
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