नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी पर आपसी सहमति बनाने के लिए उद्धव सरकार ने 6 मंत्रियों की टीम गठित की है जिसकी अगुवाई शिवसेना कोटे से मंत्री अनिल परब करेंगे। इस कमेटी में एनसीपी से जीतेंद्र आह्वाड, एनसीपी से ही नवाब मलिक, शिवसेना से उदय सामंत, और कांग्रेस की तरफ से विजय वड्डेटिवार और सुनील केदार शामिल होंगे।
6 सदस्यों वाली समिति का ऐलान
6 सदस्यों वाली यह समिति इन तीनों मुद्दे पर रिपोर्ट बनाकर सीएम उद्धव ठाकरे को पेश करेगी। इन तीनों विषयों पर शिवसेना ,एनसीपी और कांग्रेस के बीच में एका नहीं बन पा रही थी। एनसीपी और कांग्रेस को ऐतराज था कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर उद्धव ठाकरे का रुख न्यूनतम साझा कार्यक्रम के खिलाफ है और इसकी वजह से दिक्कतें आ सकती हैं। लेकिन इन तीनों दलों के नेता बयान देते समय अतिरिक्त सावधानी बरता करते थे।
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के अलग अलग सुर
नागरिकता संशोधन कानून का सदन में शिवसेना ने समर्थन किया था। यह बात अलग थी कि उनके नेता विरोध भी जाहिर करते रहे हैं। खुद सीएम उद्धव ठाकरे कहते रहे हैं कि इसमें कई तरह की व्यवहारिक परेशानियां हैं। लिहाजा केंद्र सरकार को इस विषय पर सोचने की जरूरत है। लेकिन समय समय सीएए पर अलग अलग बोल की वजह से घटक दल विरोध पर उतर आए। एनपीआर के मुद्दे पर जब ठाकरे ने कहा कि यह सेंशस की ही तरह है तो शिवसेना की तरफ से बयान आया कि विवादित मुद्दों को इस तरह से नहीं पेश किया जाना चाहिए।
बीजेपी ने साधा निशाना
सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर शिवसेना के बदलते हुए रुख पर बीजेपी ने निशाना साधा। देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि जो शिवसेना राष्ट्र प्रथम की बात करती थी। आखिर सत्ता के लोभ में सिद्धांतों से समझौता कर लिया। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करने वाली शिवसेना सड़क पर उतर कर दोहरा विचार और भाव रखती है। महाराष्ट्र की जनता स्वार्थ के इस गठबंधन को कभी स्वीकार नहीं करेगी। आने वाले समय में महाविकास अघाड़ी अंतरविरोधी की वजह से ही टूट कर बिखर जाएगी।
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