Congress Bharat Jodo Yatra: विपक्ष में कई पार्टियां नए-नए चेहरों के साथ पीएम पद की उम्मीदवार पेश कर रही है। इस बीच प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा से मुकाबले के लिए अब नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी 7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने जा रही है। जो कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3570 किलोमीटर की यात्रा होगी। जिसके जरिए कांग्रेस की कोशिश है कि देश के आम लोगों को पार्टी से जोड़ा जा सके। पार्टी यात्रा के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोग को जोड़ सके, इसके लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सिविल सोसायटी के करीब 150 लोगों से बात की है। खास बात यह है कि सिविस सोसायटी में वो लोग भी शामिल थे, जो एक समय अन्ना आंदोलन से जुड़े हुए थे। और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हुए अन्ना आंदोलन के बाद ही उस समय 10 साल से सत्ता में मौजूद कांग्रेस पार्टी को चुनावों में बड़ी हार हुई थी।
योगेंद्र यादव, अरूणा रॉय, मेधा पाटकर भी शामिल
सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ राहुल गांधी की 22 अगस्त को हुई बैठक में योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, अरूण रॉय आदि शामिल हुए थे। ये वो लोग थे जो अन्ना आंदोलन के सूत्रधार रहे हैं। और उस समय अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल की अगुआई में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन चलाया गया था। इस बैठक में इन लोगों के शामिल होने पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब हमने देश के लिए भारत जोड़ो की आवश्यकता महसूस करते हुए सभी को आमंत्रित किया है, तो हम इस बात को नहीं देख रहे हैं कि कौन किसका है, किसने साथ दिया, किसने नहीं दिया।
क्योंकि बात ये है कि आज हालात बिगड़ क्यों रहे हैं? क्योंकि देश में एक वर्ग है, एक विचारधारा है, जो कि अपनी विचारधारा को दूसरों पर थोपने का प्रयास करते हुए समाज में जो समरसता है, उसे बिगाड़ रही है, इसलिए आज हमको सबकी आवश्यकता है।
कांग्रेस के लिए बेहद अहम है ये यात्रा
2014 फिर 2019 और उसके बाद कई राज्यों में भाजपा से पटखनी खा रही, कांग्रेस के लिए भारत जोड़ो यात्रा बेहद अहम है। कांग्रेस की यह यात्रा 12 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी। पार्टी के लिए यह यात्रा इसलिए बेहद अहम है क्योंकि अगले दो साल में 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार है। जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।
कांग्रेस की पहली परीक्षा गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाली है। इन दोनों राज्यों में इस साल विधान सभा चुनाव होंगे। और इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन आगे के चुनाव की दिशा तय करेगा। इसके अलावा मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सत्ता में आने के बाद पार्टी आंतरिक कलह की वजह से सत्ता गंवा चुकी है। वहां भी कांग्रेस की सत्ता वापसी की नजर रहेगी। साथ ही मिजोरम, त्रिपुरा, तंलेगाना,मेघालय और नागालैंड में भी लोक सभा चुनावों के पहले विधानसभा चुनाव हैं और इनमें पार्टी का प्रदर्शन 2024 में विपक्ष में कांग्रेस की भूमिका की तस्वीर साफ करेगा।
इस बीच अध्यक्ष पद का भी होना है चुनाव
इस बीच सितंबर के महीने में ऐसी संभावना है कि करीब तीन साल बाद कांग्रेस को पूर्णकालिक सदस्य मिल जाएगा। हालांकि अभी तक यह स्थिति साफ नहीं हुई है कि पार्टी की कमान गांधी परिवार के हाथ में ही रहेगी या फिर गांधी परिवार से अलग कोई अध्यक्ष बनेगा। यह तस्वीर तो बाद में साफ होगी। लेकिन एक बात तय है कि कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा उसके राजनीतिक भविष्य के लिए बेहम अहम हैं। और उसके लिए वह आर्थिक चुनौतियां, आर्थिक विषमताएं, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनैतिक तनाव को मुद्दा बनाकर, मोदी सरकार के खिलाफ जनमानस तैयार करने की रणनीति पर काम कर रही है।
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