नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन दिल्ली के तीन सीमाओं सिंघु, गाजीपुर और टिकरी पर चल रहा था। लेकिन 26 जनवरी को दिल्ली में जिस तरह से उत्पात हुआ उसके बाद किसान आंदोलन को झटका लगा। दिल्ली पुलिस ने ना सिर्फ एफआईआर की है बल्कि गिरफ्तारी भी हुई है। इन सबके बीच कुछ किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को स्थगित कर दिया। इन सबके बीच इस विषय पर सियासत भी शुरू हो चुकी है।
मोदी सरकार घेरे में, कांग्रेस का खास ट्वीट
कांग्रेस इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरती रही है और ट्वीट के जरिए क्रोनोलॉजी को बताया है कि किस तरह से किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की गई। कांग्रेस का कहना है कि किसानों को पहले देशद्रोही, खालिस्तानी कहा गया, फिर वार्ता में उलझाया गया। षड़यंत्र के तहत आंदोलन को बदनाम किया गया। किसानों पर कायराना हमला हुआ और टेंट को उखाड़ दिया गया
मोदी सरकार अहंकार में चूर
कृषि कानूनों के मुद्दे पर राहुल गांधी ने भी सवाल उठाते हुए कहा था कि केंद्र की मोदी सरकार को अन्नदाताओं की तकलीफ से मतलब नहीं है। देश के 2-3 लोगों के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं और उन्हें फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। ठिठुरती ठंड में 100 से ज्यादा किसान शहीद हो गए। लेकिन यह सरकार अहंकार में चूर है। राहुल गांधी का कहना है कि यह अपने आप में कितनी हास्यास्पद बात है कि जो सरकार कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है, डेढ़ साल तक अमल करने पर रोक लगाने के लिए तैयार है, वो कानून बदलना नहीं चाहती है।
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