नई दिल्ली: एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को खुद को कांग्रेस पार्टी के विकल्प के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पास 'बहुत सारा पैसा' है, ओवैसी ने कहा कि लोगों को 'उनसे पैसा लेना चाहिए', लेकिन हमें वोट दें। ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस के लोगों के पास बहुत पैसा है, उनसे ले लें। आप मेरे लिए इसे प्राप्त करेंगे। बस मुझे वोट दें। अगर वे आपको (पैसा) दे रहे हैं तो इसे ले लें। मैं कांग्रेस से रेट बढ़ाने के लिए कहता हूं। मेरी कीमत सिर्फ 2000 रुपए नहीं है। मैं इससे अधिक कीमत का हूं। ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के पास ना दिल है, ना दिमाग है, ना ही जुबान है। कांग्रेस का दिल बीजेपी में, दिमाग आरएएस में, जुबान में सेकुलरिज्म है।
तेलंगाना के मेढक में ओवैसी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मैं बीजेपी से पूछना चाहता हूं, क्या यह सच नहीं है कि जब तिरंगे को भारत का राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया गया था, आरएसएस के आयोजक ने लिखा था कि तिरंगा झंडा अशुभ था? मैंने उन्हें इस तथ्य का खंडन करने की चुनौती देता हूं। मैं सबूत दिखाऊंगा। अन्यथा साबित करें। उन्होंने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस ने डराने का आरोप लगाया।
ओवैसी ने कहा कि हमने हाल ही में एक 'तिरंगा रैली' आयोजित की और एक लाख से अधिक लोगों ने इसमें भाग लिया। वे इस देश की आत्मा की रक्षा करना चाहते थे। जबकि बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने इस रैली को देखा, तो उन्होंने कहा कि ओवैसी ने राष्ट्रीय ध्वज उठाया है। क्योंकि वह उनसे डरता है।
तेलंगाना के भैंसा में हुई हिंसा पर असदुद्दीन ओवैसी कहा कि कल की घटना निंदनीय है। मैं सीएम से सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करता हूं। मैं उनसे यह भी मांग करता हूं कि जिन लोगों को नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा प्रदान करें। मैं भैंसा के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।
उन्होंने कहा कि मैं यह कहना चाहूंगा कि उनकी सोच गलत है। मैं उन्हें बता रहा हूं कि बैटन हमारी है, झंडा हमारा है और ऐसा ही राष्ट्र है। हमें तिरंगा उठाना था क्योंकि जो लोग झंडा रखते थे, उनके हाथ में तिरंगा था लेकिन उनके दिमाग पर गोडसे।
राज्य में आगामी नगरपालिका चुनावों के लिए प्रचार करते हुए, ओवैसी ने कहा कि नागरिकता राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) लागू होने पर मुस्लिम, दलित और आदिवासी सबसे अधिक पीड़ित होंगे।
ओवैसी ने कहा कि जब नागरिकता संशोधन बिल संसद में पेश किया गया था, तो मैं ही वह था जिसने इसे काला कानून माना था और सदन में बिल की एक प्रति फाड़ दी थी। यह कानून किसी व्यक्ति के धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करेगा। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।
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