कांग्रेस पर कायम पार्टी नेतृत्व का वर्चस्व, क्या 'बागी' 23 नेताओं की बढ़ेंगी मुश्किलें?

देश
आलोक राव
Updated Aug 25, 2020 | 09:37 IST

Congress 23 rebellion leaders: कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन एवं पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है लेकिन सवाल है कि क्या पार्टी में अब सब कुछ पहले की तरह चल पाएगा।

Congress high command hold on party becomes more rigid hardship for 23 rebellion leaders ahead
मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को सात घंटे तक चली बैठक
  • 'बागी' नेताओं की चिट्ठी पर राहुल गांधी ने जाहिर की नाराजगी
  • पत्र में कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त करने की मांग की गई है

नई दिल्ली : कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के जो नतीजे सामने आए हैं उससे साफ हो गया है कि कांग्रेस अभी बदलाव के लिए तैयार नहीं है।  सोनिया गांधी अगले छह महीने तक पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष बनी रहेंगी। इस दौरान पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश की प्रक्रिया शुरू करेगी। जाहिर है कि पार्टी के 23 नेताओं ने जिस परिवर्तन एवं सुधार की मांग को लेकर पत्र लिखा उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बैठक में इन नेताओं को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अहमद पटेल का कोपभाजन बनना पड़ा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सात घंटे तक चली कार्यसमिति की बैठक काफी हंगामेदार रही। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो पार्टी के कुछ नेता नाराज होकर बैठक से चले गए लेकिन बाद में उन्हें मना लिया गया। 

पार्टी नेतृत्व के खिलाफ पहली बार मुखर हुए नेता
दरअसल, पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग नई नहीं है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस के नेता दबी जुबान में पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते और नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते रहे हैं लेकिन यह मांग कभी मुखर नहीं हुई। ऐसा पहली बार हुआ है जब नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लकर पार्टी के छोटे-बड़े नेता एकजुट हुए हैं और उन्होंने बदलाव के लिए सीधे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष को पत्र लिखा है। 

गांधी परिवार के करीबी भी उठाए सवाल
जाहिर है कि कांग्रेस के इन 23 नेताओं में असंतोष का स्तर काफी बढ़ गया होगा तब जाकर उन्होंने सीधे तौर पर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में गांधी परिवार के काफी करीबी समझे जाने वाले गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, भूपेंदर सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हण जैसे नेता शामिल हैं। गांधी परिवार के प्रति इन नेताओं की निष्ठा संदेह के परे रही है। अपने भरोसेंद नेताओं के 'बागी' तेवर अख्तियार करना कांग्रेस नेतृत्व को काफी नागवार गुजरा है। इससे राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी के भरोसेमंद सिपहसलार अहमद पटेल की नाराजगी से देखा जा सकता है। 

आजाद, सिब्बल, मनीष तिवारी जैसे नेता शामिल
नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वाले पत्र पर जिन नेताओं के हस्ताक्षर हैं। उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद एवं नेता शामिल हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में गुलाम नबी आजाद कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद, भूपेंदर सिंह हुड्डा,  राजिंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, अजय सिंह, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा, योगानंद शास्त्री, संदीप दीक्षित, विवेक तन्खा शामिल हैं।

पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष चाहते हैं ये नेता
कांग्रेस के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग को फिलहाल भले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया हो लेकिन पार्टी को आने वाले समय में इस दिशा में कदम जरूर बढ़ाना होगा। उसे अपने लिए एक स्थायी एवं पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति करनी होगी। इन 'बागी' 23 नेताओं ने राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध नहीं किया है। बल्कि ये पार्टी के लिए एक नया एवं पूरी तरह समर्पित अध्यक्ष चाहते हैं। इसके साथ ही सवाल है कि पार्टी में विरोध का स्वर उठा चुके इन नेताओं की आगे की राह क्या आसान रहने वाली है। 

कांग्रेस के लिए यह संकट काफी बड़ा 
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए टॉम वडक्कन का कहना है कि राहुल गांधी का मानना है कि यदि आप उनके साथ नहीं हैं तो आप भाजपा के साथ हैं। राहुल ने सोमवार को कथित रूप से यही बात कही। पार्टी आलाकमान के सामने पूरी तरह से निष्ठावान रहने वाले नेता अब नेतृत्व पर सवाल उठाने लगे हैं। कांग्रेस के लिए यह संकट काफी बड़ा है। अब बदलाव एवं परिवर्तन से उसका मुंह फेरना पार्टी के हित में नहीं होगा।  
 

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