नई दिल्ली: धर्मांतरण को लेकर हुए विवाद का जिक्र करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि अगर कोई लोगों का धर्म परिवर्तन कर रहा है तो वह तलवार का इस्तेमाल नहीं कर रहा है, जो आजकल प्रचलन में नहीं है। आजाद ने कहा कि यह अच्छा काम और वो व्यक्तियों का चरित्र है जो लोगों को प्रभावित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि लोग प्रभावित होने के बाद धर्मांतरण करते हैं, क्योंकि वे देखते हैं कि यह विशेष धर्म मानवता की सेवा कर रहा है, सभी को साथ लेकर चल रहा है और भेदभाव नहीं कर रहा है। आजाद उधमपुर जिले में क्रिसमस मनाने के लिए ईसाई समुदाय में शामिल हुए थे।
आजाद ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर तत्कालीन 'महाराजा' (पूर्व डोगरा शासकों) के तहत वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की तुलना में बेहतर था। उन्होंने कहा कि एक महाराज जिसको हम तानाशाह कहते थे, वंशवादी शासक या निरंकुश शासक कहते थे, वो आज के वक्त के हिसाब से लोगों की भलाई के लिए ज्यादा अच्छा सोचते थे। आज की सरकार ने तो तानों चीजें ले ली।
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 20 जून को द्विवार्षिक 'दरबार मूव' की पारंपरिक प्रथा को रोक दिया। दरबार मूव के तहत, गर्मी के छह महीने नागरिक सचिवालय व अन्य कार्यालय श्रीनगर स्थानांतरित हो जाते थे जबकि साल के शेष छह महीने उनका संचालन जम्मू से होता था। इसकी शुरुआत महाराजा गुलाब सिंह ने 1872 में की थी। आजाद ने कहा कि मैं हमेशा दरबार मूव का समर्थन करता था। महाराजाओं ने हमें तीन चीजें दीं जो कश्मीर और जम्मू दोनों क्षेत्रों की जनता के हित में थीं और उनमें से एक दरबार मूव थी।
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