नई दिल्ली। दिसंबर 2018 में जब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान हुआ तो तस्वीर साफ थी कि जो भी दल सरकार बनाएगा वो दूसरों के समर्थन पर जिंदा रहेगा।समर्थन वाली बैशाखी हटी नहीं कि सरकार धड़ाम। कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई। कमलनाथ को मुखिया बनाया गया। लेकिन असंतोष वहीं से शुरू हुआ। ज्योतिरादित्य समर्थकों को लगने लगा कि महाराज के साथ अन्याय हुआ है। और करीब डेढ़ साल के बाद असंतोष कुछ इस तरह फूटा की महाराज यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
मध्य प्रदेश में बदली तस्वीर
हम आपको ताजा राजनीतिक घटनाक्रम में बताएंगे कि अगर कमलनाथ सरकार गिर जाती है तो क्या बीजेपी के पास इतना संख्या बल है कि वो सरकार बना पाने में कामयाब होगी। मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन के बाद विधानसभा की मौजूदा शक्ति 228 हो गई है। कांग्रेस के 14 विधायक थे।
संख्या बल में कांग्रेस पीछे
अगर 230 के आधार पर जादुई आंकड़ा देखें तो सरकार में बनाने और बने रहने के लिये 115 विधायकों की जरूरत थी। कांग्रेस पार्टी,बीएसपी , एसपी और निर्दलियों के समर्थन से सरकार चला रही थी। कांग्रेस को 4 निर्दलीय, 2 बीएसपी और एक एसपी विधायक का समर्थन मिला हुआ है। कांग्रेस ने कुल 121 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं।
मौजूदा तस्वीर में बीजेपी का पलड़ा भारी
मौजूदा तस्वीर यह है कि विधानसभा में कुल 228 विधायक हैं इसका अर्थ यह है कि सरकार में बनाने के लिए 115 विधायकों का समर्थन चाहिए। ज्योतिरादित्य खेमे के कुल 21 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इसका अर्थ है कि कांग्रेस के पास इस समय 93 विधायक हैं, बीएसपी, एसपी और निर्दलियों के समर्थन के बाद भी कांग्रेस 115 का आंकड़ा छूने में नाकाम है। इसका अर्थ यह है कि कमलनाथ की सरकार गिरती हुई नजर आ रही है।
निर्दलियों का समर्थन मिला तो बीजेपी पक्ष में और बढ़ेंगे आंकड़े
अब अगर कांग्रेस के 21 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तो सदन की कुल संख्या 207 हो जाएगी और सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के पास 104 विधायक चाहिए। ऐसी सूरत में संख्या बल बीजेपी के समर्थन में हैं और बीजेपी डेढ़ साल के अंतराल के बाद एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है। मध्य प्रदेश में चार निर्दलीय विधायकों ने कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रखा है। ताजा घटनाक्रम में सरकार गिरने के बाद ये विधायक भी पाला बदल सकते हैं। अगर ये चारों विधायक भी बीजेपी के साथ आ जाते हैं तो नई सरकार के समर्थन में विधायकों का आंकड़ा बढ़कर 111 हो जाएगा।
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