कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि चुनाव कानून संशोधन बिल यूपी चुनाव के मद्देनजर लाया गया है। उन्होंने मांग किया कि मतदाता सूची को आधार से जोड़ने के प्रावधान को पहले स्थाई समिति के पास भेजा जाना चाहिए। उनके मुताबिक लोकसभा से सरकार इस संशोधन बिल इसलिए जल्दबाजी में पारित कराना चाहती है कि उसे यूपी चुनाव में फायदा मिल सके। इस बिल का मकसद है कि बड़ी संख्या में लोगों को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखा जाए।
पक्ष-विपक्ष आमने सामने
अधीर रंजन चौधरी कहते हैं कि उन्हें नहीं पता है कि यह सरकार इस विषय पर इतनी जल्दबाजी में क्यों हैं। अभी हमारे पास डेटा संरक्षण से संबंधित नियम भी नहीं हैं। इस बिल से ज्यादातर लोग मतदान प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। बता दें कि हंगामे के बीच लोकसभा से यह बिल पारित हो गया। इस विषय पर कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह बिल बाध्यकारी नहीं है, इससे बड़ा फायदा यह होगा कि फर्जी मतदाताओं पर लगाम लगेगी। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधारों पर व्यापक चर्चा होना चाहिए। विपक्ष से इस विषय पर चर्चा में शामिल होने की अपील की गई थी। लेकिन उन लोगों की तरफ से सिर्फ हंगामा किया गया।
क्या हैं महत्वपूर्ण बदलाव
वोटर आईडी को आधार से जोड़ने के फायदे को उदाहरण से समझिए
A नाम का व्यक्ति यूपी के एक गांव में निवासी है। गांव की वोटर लिस्ट में उसका नाम है पर A लंबे समय से शहर में रह रहा है। शहर के वोटर लिस्ट में भी उसका नाम दर्ज है। दोनों जगहों पर A का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज। आधार से वोटर आई के लिंक होते ही A का नाम किसी एक ही वोटर लिस्ट में रहेगा। यानी A सिर्फ एक जगह ही अपना वोट दे पाएगा।
विपक्ष को इन विषयों पर है ऐतराज
नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन,निजता के अधिकार का उल्लंघन,निजता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन सरकार कुछ लोगों के लीगल अधिकार छीन लेगीसरकार के पास नागरिकों की सारी जानकारी आ जाएगीआधार और वोटर आई डी का इस्तेमाल अलग है इसलिए इसे जोड़ नहीं सकते
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