नई दिल्ली: पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे की आंच दिल्ली तक पहुंच गई है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है "लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, सुष्मिता चली गई, सिंधिया, जितिन प्रसाद, फलेरो चले गए , दूसरे लोग भी छोड़ कर जा रहे हैं।" इस बीच दिल्ली पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कर ली है। कैप्टन के भाजपा में शामिल होने के कयास, 20 सितंबर के बाद से ही लगाए जा रहे हैं। हालांकि कैप्टन ने दिल्ली आने पर कल यही कहा था कि मैं दिल्ली अपना घर खाली करने आया हूं और किसी से मिलने नहीं आया हूं।
लेकिन उनकी अमित शाह से हुई मुलाकात ने निश्चित तौर पर, कांग्रेस के अंदर खलबली मचा दी होगी। इसके पहले आज दिन में (29 सितंबर) पंजाब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी सिद्धू पर तंज करते हुए कहा था कि मेरे कहने पर कोई मंत्री बना या नहीं, अभी यह सोचने का विषय नहीं है। मुझे संकोच नहीं है कि जिन लोगों को राज्य की जिम्मेदारी दी गई है, वे पंजाब को समझ नहीं पाए। पंजाब सरहद का राज्य है। यहां पाकिस्तान की तरफ से हथियार आते हैं, ड्रग्स की तस्करी होती है, ड्रोन आते हैं। इन सब चीजों को देखते हुए सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के बहुत कद्दावर नेता हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा की बातें उन्हें अच्छी तरह पता हैं। चुनाव एक पहलू है, राष्ट्र हित दूसरा पहलू है। कैप्टन धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और राष्ट्रवाद उनमें कूटकूट कर भरा हुआ है।
जाहिर है सिब्बल और मनीष तिवारी को कैप्टन अमरिंदर की स्थिति को लेकर चिंता है। इस बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस बयान के बाद कि जल्द ही भविष्य के बारे में फैसला लूंगा। इसके बाद से कई सारे समीकरण बनते दिख रहे हैं।
क्या कर सकते हैं कैप्टन
कैप्टन अमरिंदर सिंह की राजनीति को करीब से जानने वाले एक शख्स का कहना है कि जिस तरह से कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया है, वह खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में वह कोई भी कदम उठा सकते हैं। और अगर ऐसा होता है तो उसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। जिस तरह से अमरिंदर सिंह की अमित शाह से मुलाकात हुई है, उसे देखकर यह उम्मीदें बढ़ गई है कि वह आने वाले समय में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो पंजाब में कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा। एक सूत्र का कहना है कि अगर अमरिंदर कांग्रेस का साथ छोड़ेंगे तो यह साफ है कि वह अकेले नहीं जाएंगे। ऐसे में कांग्रेस में टूट भी हो सकती है। इससे चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट भी आ सकता है। हालांकि यह सब कुछ कैप्टन के अगले कदम पर निर्भर करेगा।
इसके अलावा एक विकल्प यह भी है कि अमरिंदर सीधे तौर पर भाजपा में शामिल नहीं हो और अपने समर्थकों के साथ मिलकर एक नया दल बना लें और एनडीए में शामिल हो जाएं। हालांकि चुनावों से 3-4 महीने पहले ऐसा करना आसान नहीं होगा।
भाजपा को क्या फायदा
अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा का दामन थामते हैं तो निश्चित तौर, उसे पंजाब में एक मजबूत जमीन मिल जाएगी। साथ ही वह 10 महीने से चल रहे किसान आंदोलन की चुनौती से भी भाजपा को निकाल सकते हैं। क्योंकि उनके किसानों के साथ कहीं बेहतर संबंध हैं। हालांकि अभी तक कैप्टन और भाजपा के तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं आया है। जिससे यह लगे कि वह भाजपा में शामिल हो जाएंगे। लेकिन जैसा कहा जाता है कि एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है। तो आज शाम की गृहमंत्री अमित शाह के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह मीटिंग, कुछ वैसी ही कहानी कहती है।
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