Congress President Election: आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष पद के चुनाव का ऐलान कर दिया है। और नए अध्यक्ष के लिए 17 अक्टूबर को वोटिंग होगी। इसके लिए 24 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। अध्यक्ष पद पर एक से ज्यादा उम्मीदवार होंगे या फिर कोई सर्वसम्मति से चुना जाएगा। इसको लेकर अभी तक तस्वीर साफ नही है। लेकिन एक बात साफ नजर आ रही है कि कांग्रेस में मौजूद ज्यादातर वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने की मांग कर रहे हैं। और इस लिस्ट में अशोक गहलोत, सलमान खुर्शीद जैसे नेता शामिल हैं। हालांकि राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे या नहीं इसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन एक बात साफ है कि पिछले दो दशक का यह सबसे अलग चुनाव होगा। जिसमें कांग्रेस में गुटबाजी साफ तौर पर नजर आ रही है। एक तरफ राहुल गांधी समर्थक नेता हैं, तो दूसरी तरह G-23 के बचे नेता हैं, जिसमें वह अभी भी चुनाव प्रक्रिया और राहुल गांधी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।
आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चाह्वाण ने उठाए सवाल
G-23 के प्रमुख नेताओं में कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। वहीं आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चाह्वाण जैसे नेता अभी भी मौजूद हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी में एक गुट के नेताओं को गुलाम नबी आजाद का पार्टी छोड़ना और फिर उन पर पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा की गई टिप्पणी रास नहीं आ रही है।
न्यूज एजेंसी के अनुसार इसलिए रविवार की कार्यसमिति की बैठक में आनंद शर्मा ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार किए जाने को लेकर सवाल खड़े किए। और शर्मा ने सवाल पूछा कि पार्टी के संविधान के तहत उचित प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं? जाहिर है आनंद शर्मा को चुनाव प्रक्रिया को लेकर संशय है। हालांकि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसके उलट बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने जो चुनाव कार्यक्रम कार्य समिति के समक्ष रखा, उसे लेकर किसी ने कोई सवाल खड़ा नहीं किया और उसे मंजूरी दे दी गई है। सूत्रों के अनुसार नए अध्यक्ष के लिए 9000 डेलीगेट्स वोट करेंगे।
ऐसा नहीं है कि चुनाव प्रक्रिया को लेकर अकेले आनंद शर्मा को ही संशय है। पीटीआई के अनुसार महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है अगर किसी को कठपुतली अध्यक्ष बनाकर बैकसीट ड्राइविंग से पार्टी को चलाने कोशिश हुई, तो कांग्रेस नहीं बच पाएगी। साथ ही केवल अध्यक्ष नहीं कांग्रेस कार्य समिति समेत सभी पदों के लिए चुनाव होना चाहिए। चव्हाण का यह भी कहना है कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनना चाह रहे हैं तो फिर वैकल्पिक व्यवस्था की जाए और चुनाव के जरिये नया कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाए। साफ है कि पृथ्वीराज चाह्वाण वहीं आरोप लगा रहे हैं, जो गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ते वक्त राहुल गांधी पर लगाए थे। आजाद ने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी में पीछे से राहुल गांधी सारे फैसले ले रहे हैं।
गुलाम नबी आजाद ने फिर किया हमला
इस बीच सोमवार को गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी की नींव कमजोर हो गई है और वह कभी भी बिखर सकती है।उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बीमार कांग्रेस डॉक्टर की जग कंपाउंडर से दवा ले रही है। यही नहीं कांग्रेस नेतृत्व के पास चीजें सही करने का समय नहीं है, राज्यों में उसके नेता पार्टी के सदस्यों को एकजुट रखने के बजाय उन्हें जाने दे रहे हैं। मोदी-मय होने के आरोप को लेकर आजाद ने राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग संसद में भाषण देकर उनसे गले मिलते हैं, वो मिले हैं या नहीं ?
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इसी तरह जयराम रमेश पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पहले वह अपने डीएनए की जांच कराएं। वह तो पहले फ्रीलांसर थे। वह बताएं कि पहले किस सरकार के कर्मचारी थे। वह हमारी पार्टी में नहीं थे। पहले वह अपनी जांच कराएं कि उनका डीएनए किस पार्टी का हैं।आजाद ने यहा तक कहा कि सबसे ज्यादा अफसोस की बात यह है कि जो बाहरी हैं, जो चापलूसी करते हैं, उन्हें पद मिले हुए हैं।
गांधी परिवार का 24 साल से अध्यक्ष पद पर कब्जा
अक्टूबर में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर 22 साल बाद चुनाव होंगे और इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार का ही कब्जा रहा है। सोनिया गांधी साल 1998 से लेकर 2017 तक लगातार अध्यक्ष थी। उसके बाद राहुल गांधी 2 साल अध्यक्ष रहे। जबकि बीच में कुछ समय कोई अध्यक्ष नहीं था और फिर सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में काम कर रही हैं। ऐसे में देखना यह है कि इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष कोई गांधी परिवार से बनता है या फिर कोई और दूसरा व्यक्ति बनता है। लेकिन जिस तरह G-23 के नेता कठपुतली अध्यक्ष के चयन पर आशंका जता रहे हैं,उससे साफ है कि कांग्रेस के लिए इस बार अध्यक्ष पद का चुनाव बेहद अलग होगा।
G-23 में अब कौन
गांधी परिवार के लिए पिछले 2 साल से चुनौती बने G-23 के प्रमुख नेताओं में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, शशि थरूर, मिलिंद देवड़ा, मुकुल वासनिक, मनीष तिवारी, वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चाह्वाण, संदीप दीक्षित, राज बब्बर , जितिन प्रसाद और कपिल सिब्बल रहे हैं। इसमें जितिन प्रसाद अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ दी है। इसमें से आनंद शर्मा, पृथ्वी राज चाह्वाण और मनीष तिवारी कांग्रेस में सुधार को लेकर सवाल उठाते रहते हैं। अहम बात यह है कि पहले कांग्रेस में नेता सार्वजनिक तौर पर गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाने से बचते थे, लेकिन पिछले 2 साल से कई नेता अब खुल कर पार्टी के कलह पर सवाल उठाते रहते हैं।
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