नई दिल्ली : राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिख 11 अगस्त को राज्यसभा में हंगामे की जांच कमिटी में को विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश बताया। पत्र में खड़गे ने कहा, 'सभापति जी 4 सितंबर को आपके साथ फोन पर हुई बातचीत के आधार पर मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं, जिसमें आपने 11 अगस्त को राज्यसभा में हुए हंगामे को लेकर कमेटी बनाने और कांग्रेस को अपना सदस्य इस कमेटी के लिए नामित करने का आग्रह किया था।'
उन्होंने लिखा, 'कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां मानसून सत्र के दौरान सभी मुद्दों पर सदन के अंदर चर्चा करना चाहती थी। चाहे वह अर्थव्यवस्था का मुद्दा हो या कोविड का मुद्दा हो। किसान आंदोलन, चीनी घुसपैठ सभी मुद्दों पर विपक्ष सरकार के साथ सकारात्मक चर्चा के लिए तैयार थी। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि सरकार न सिर्फ चर्चा से भाग रही थी, बल्कि बिना बहस के कई सारे बिलों को सरकार ने पास करवाने का काम किया।'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'आप जानते हैं कि सरकार के अड़ियल रवैया की वजह से संसद का मानसून सत्र गतिरोध से भरा रहा और कोई सकारात्मक चर्चा सदन के अंदर नहीं हो पाई। इसी वजह से सर विपक्ष के पास विरोध करने के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं बचा। संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में सदन के अंदर विरोध करने की एक परंपरा रही है आज जो दल सत्ता में बैठे हैं उन्होंने विपक्ष में रहते हुए विरोध को लोकतंत्र का हिस्सा बताया था।'
खड़गे ने लिखा, 'इस सब को देखते हुए 11 अगस्त की घटना के लिए जांच कमेटी का बनाना विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश है। इसलिए मैं और मेरी पार्टी इस तरह की जांच कमेटी का विरोध करते हैं और इसमें अपने किसी सदस्य को हम नहीं नामित करेंगे।'
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