नई दिल्ली। 2019 का आम चुनाव राहुल गांधी का अगुवाई में कांग्रेस लड़ रही थी। मोदी सरकार के खिलाफ राहुल गांधी जबानी हमला कर रहे थे और उस क्रम में अदालती कार्रवाई का सामना करना पड़ा। लेकिन नतीजा यह रहा कि कांग्रेस पार्टी 100 के आंकड़े को भी ना छू सकी और उसके बाद कांग्रेस में बवंडर सा आ गया। पार्टी के अंदर से नेतृत्व बदलने की मांग उठने लगी और उस क्रम में राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया और उनकी मां ने कांग्रेस की कमान संभाली। अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी की कमान फुल टाइम किसके हाथ हो उस दिशा में प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।
ज्यादातर कार्यकर्ताओं की पसंद राहुल गांधी
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी जल्द ही नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। कांग्रेस का इलेक्टोरल कॉलेज, AICC के सदस्य, कांग्रेस कार्यकर्ता और सदस्य चुनेंगे कि कौन सबसे उपयुक्त है। मेरे समेत 99.9% लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष चुना जाए।
कई कद्दावर नेताओं ने मौजूदा हालात पर जताया था रोष
बता दें कि हाल ही में कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं ने पार्टी में कुछ नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे, हालांकि किसी का नाम नहीं लिया था। जिस तरह से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले असंतुष्ट नेताओं की चिट्ठी सार्वजनिक हुई और कपिल सिब्बल ने निशाना साधा उसके बाद कांग्रेस के अंदर विवादों के बवंडर ने जन्म लिया। गुलामनबी आजाद ने तो यहां तक कहां था कि अगर पार्टी में बड़े पैमाने पर बदलाव नहीं होगा तो कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। जहां तक सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने का सवाल है तो वो कोई नया काम नहीं कर रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि 2019 के चुनाव के करीब एक साल बाद अब कांग्रेस पूर्णकालिक अध्यक्ष की बात कर रही है यह अच्छा प्रयास होगा। लेकिन जिस तरह से गांधी शब्द कांग्रेस के नेताओं के सामने आता है तो उसके पीछे ठोस वजह है। अगर आप गैर गांधी परिवार से कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका को देखें तो पार्टी जमीनी स्तर पर उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ी। लेकिन गांधी परिवार के हाथों में कमान आने के बाद ज्यादातर नेता जिनकी महत्वाकांक्षा आसमान छूती है उन पर भी लगाग लग जाती है।
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