नई दिल्ली: कोरोना वायरस के उपचार को लेकर बड़ा फैसला किया गया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की तरफ से बताया गया है कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग को नैदानिक प्रबंधन दिशा-निर्देश से हटाया गया है। एम्स/आईसीएमआर-कोविड-19 नेशनल टास्क फोर्स/संयुक्त निगरानी समूह, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वयस्क कोविड 19 मरीजों के उपचार प्रबंधन संबंधी चिकित्सीय दिशा-निर्देशों को संशोधित किया और कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा (ऑफ लेबल) को हटा दिया है।
विशेषज्ञ कोविड-19 रोगियों के लिए प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावकारिता पर चिंता जता रहे थे। ICMR ने कहा कि कोरोना रोगियों पर प्लाज्मा थेरेपी गंभीर बीमारी या मृत्यु की प्रगति को कम करने में प्रभावी नहीं पाई गई है और इसे नैदानिक प्रबंधन दिशानिर्देशों से हटा दिया गया है।
अब तक, भारत के कोविड-19 उपचार प्रोटोकॉल ने कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा (ऑफ लेबल) के उपयोग की अनुमति दी थी। इसकी केवल प्रारंभिक मध्यम बीमारी के चरण में यानी लक्षणों की शुरुआत के सात दिनों के भीतर और जरूरतें पूरा करने वाला प्लाज्मा दाता मौजूद होने की स्थिति में इसकी अनुमति थी।
कोविड -19 उपचार प्रोटोकॉल भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, एम्स नई दिल्ली, अन्य के परामर्श से तैयार किया गया है। कोविड-19 महामारी के शुरुआती महीनों में प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के एक 'उपचार' के रूप में लोकप्रिय हो गई थी और इसे मध्यम से गंभीर मामले की प्रगति को रोकने में प्रभावी माना गया था। हालांकि, जैसे ही अधिक शोध किए गए तो यह प्रमाणित हो गया है कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 रोगियों पर संक्रमण की गंभीरता को कम करने या नियंत्रित करने में प्रभावी नहीं है।
सदस्य हुए थे हटाने पर सहमत
कोविड-19 के लिए गठित राष्ट्रीय कार्य बल-आईसीएमआर की पिछली सप्ताह हुई बैठक के दौरान सभी सदस्य प्लाज्मा थेरेपी को नैदानिक प्रबंधन दिशा-निर्देश से हटाने पर सहमत हुए थे, जिसके बाद सरकार का यह निर्णय सामने आया है। उल्लेखनीय है कि कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन को देश में कोविड-19 उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग को तर्कहीन और गैर-वैज्ञानिक उपयोग करार देते हुए आगाह किया था।
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