नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद 11 हजार के पार जा चुकी है और मरने वालों की संख्या 400 के करीब पहुंच रही है। अगर दुनिया के दूसरे देशों से तुलना करें तो यहां हालात नियंत्रण में है। लेकिन अगर तुलनात्मक अध्ययन न करें तो हालात गंभीर है, खासतौर से महाराष्ट्र और मुंबई के आंकड़े डराने वाले हैं। बुधवार को एक ही अस्पताल में 10 लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इस अस्पताल में तीन कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती कराया गया था। फिलहाल सभी मरीजों का इलाज अस्पताल में जारी है। इन सबके बीच सवाल यह है कि आखिर वजह क्या है।
अलग अलग राय
इस सवाल के जवाब में अलग अलग तरह की राय सामने आ रही है। कुछ जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में जब होम क्वारंटाइन को सख्ती से लागू करने की बात आई तो उसमें कुछ ढील हुई। सरकार की तरफ से सख्त निर्देश जारी कर ऐसे लोगों के खिलाउ कार्रवाई की बात भी कही गई। लेकिन मामला धीरे धीरे हाथ से निकल गया। इसके बाद जिस तरह से निजामुद्दीन मरकज का मामला सामने आया उसके बाद की तस्वीर और बदली।
सवाल यह है कि अगर सरकार सतर्क है तो मामले क्यों बढ़ रहे हैं तो जनाब इसका जवाब उद्धव सरकार तैयारी के रूप में नहीं दे रही है, वो तो कह रही हैं कि हमने टेस्टिंग की संख्या बढ़ा दी है लिहाजा मामले बढ़ गए। ये तो अच्छी बात है कि देश के सामने सही आंकड़े आ रहे हैं। लेकिन सवाल तो यह भी है कि क्या महाराष्ट्र सरकार उन आंकड़ों का इंतजार कर रही है जो हर एक दिन सूर्खियां बन जाती हैं।
क्या उद्धव सरकार नाकाम है
यह तो सिक्के का एक पक्ष है, दूसरा यह है कि महाराष्ट्र में टेस्ट के मामलों में तेजी आई है और इस वजह से भी मामले बढ़े हैं। इस बात की पुष्टि बीएमसी भी करती है। लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई और तैयारी का यह आधार नहीं हो सकता है। मसलन धारावी स्लम का मुद्दा जब सामने आया तो महाराष्ट्र सरकार की तरफ से भी बयान आया कि उन इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा पाना मुश्किल काम है। इसके साथ ही मंगलवार को बांद्रा टर्मिनस से जो तस्वीर सामने आई वो सरकार की तैयारी की पोल खोलती भी नजर आई।
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