नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में एक बार फिर उछाल के बीच होली का त्योहार आया है। यूं तो होली खुशियों का त्योहार है और हर कोई इस दिन सभी गिले-शिकवे भूलकर रंग-गुलाल लगाकर खुशियों का इजहार करता है। लेकिन कोरेाना वायरस संक्रमण के मामलों में एक बार फिर उछाल वायरस के नए वेरिएंट्स को देखते हुए इस त्योहार हर किसी को खास सावधानी बरतने की जरूरत है।
कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में रविवार (28 मार्च) को लगातार 18वें दिन बढ़ोतरी देखी गई, जब 24 घंटों में संक्रमण के रिकॉर्ड 62,714 नए केस दर्ज किए गए, जबकि 300 लोगों की जान चली गई। यह 16 अक्टूबर, 2020 के बाद 1 दिन में संक्रमण की सर्वाधिक संख्या है। अगर आपको याद हो तो बीते साल मार्च के महीने में ही देश में संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हुए थे, जिसमें अक्टूबर के आखिर तक कमी देखी गई थी।
साल 2021 की शुरुआत तक कोरोना संक्रमण के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई और यह 24 घंटों में नौ हजार तक भी पहुंचा, जिससे उम्मीद जगने लगी कि यह संक्रामक रोग अब खत्म हो रहा है, लेकिन अब बीते करीब एक पखवाड़े से एक बार फिर संक्रमण के मामलों में उछाल देखा जा रहा है। इस बीच होली जैसे त्योहार ने संक्रमण को लेकर चिंताएं और बढ़ा दी हैं।
देश में कोरोना की इस दूसरी लहर को लेकर चिंता इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि यहां बीते कुछ दिनों में इस संक्रामक वायरस के कई वेरिएंट्स पाए गए हैं, जिन्हें अधिक संक्रामक समझा जा रहा है। हालांकि वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि संक्रमण के मामलों में उछाल के लिए यही वेरिएंट्स जिम्मेदार हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
ऐसे में होली के दौरान बरती गई थोड़ी सी लापरवाही भी बड़ी चिंता का कारण बन सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारों के दौरान लोगों के एक-दूसरे से मिलने का सिलसिला बढ़ जाता है। कई बार लोग संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते। ऐसे में वायरस को फैलने का मौका और मिल जाता है। होली का त्योहार भी ऐसा ही है, इस तरह की लापरवाही संक्रमण की रफ्तार को बढ़ा सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अतीत से सबक लेकते हुए हर किसी को इस तरह के कार्यक्रमों में जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें 'सुपरस्प्रेडर' के मामले देखे गए हैं। भीड़ में अगर कोई संक्रमित व्यक्ति है तो वह कई अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। एक-दूसरे पर रंग डालने के दौरान कई बार मास्क भी भीग जाता है, जिससे वह सुरक्षित नहीं जाता और स्वस्थ लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
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