नई दिल्ली : देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले लगभग 3 महीने से जारी विरोध प्रदर्शन को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। हालांकि दिल्ली सरकार ने 200 से अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने पर पाबंदी लगा दी है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने धरना समाप्त करने से इनकार कर दिया है।
जारी रखेंगे प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपने स्वास्थ्य को लेकर जरूरी एहतियात बरतते हुए सीएए के खिलाफ अपना धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे। कोरेाना वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए दिल्ली में सरकार ने 200 से अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने पर रोक लगा दी है। इसी के तहत इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे आयोजन भी रोक दिए गए हैं। दिल्ली सरकार ने लोगों से भीड़भाड़ वाले जगहों पर जाने या एक जगह एकत्र होने से बचने की सलाह दी है। हालांकि शाहीन बाग के बारे में उनका कहना है कि इस बारे में फैसला केंद्र सरकार को लेना है।
'केंद्र ले फैसला'
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा, 'हमने सभी सिनेमाघरों, स्कूल और कॉलेज को 31 तार्च तक बंद रखने के निर्देश दिए हैं। हमने ऐसे खेल, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस के आयोजनों पर भी लोग लगा दी है, जिसमें 200 से अधिक लोग शामिल हों। इसके बावजूद अगर लोग बड़ी संख्या में एक-दूसरे से मिलजुल रहे हैं तो हम बस उनसे अपील कर सकते हैं कि ऐसा न करें। लोगों का स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है।'
'यह वजूद की लड़ाई'
वहीं, सरकार की एडवाइजरी के बाद शाहीन बाग प्रदर्शन के मीडिया कोऑर्डिनेटर काजी इमाद ने कहा, 'हम सिनेमाघरों, आईपीएल जैसे आयोजन पर बैन का सम्मान करते हैं। लेकिन ये सभी मनोरंजन के माध्यम हैं, जबकि हमारा प्रदर्शन हमारे वजूद को बनाए रखने की लड़ाई है। दोनों की एक-दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती।' शाहीन बाग प्रदर्शन की लीगल टीम के सदस्य एडवोकेट अनवर सिद्दीकी ने भी कहा, 'हम प्रदर्शन के बारे में तब तक कोई फैसला नहीं लेंगे, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं कहता।'
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