Jignesh Mevani : जिग्नेश मेवानी को शुक्रवार को कोर्ट से राहत मिली। असम की बरपेटा जिले की एक अदालत ने महिला पुलिसकर्मी पर कथित हमला मामले में उन्हें जमानत दे दी। मेवानी के वकील ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि कुछ प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद उनके मुवक्किल की रिहाई 30 अप्रैल को हो सकती है।
पीएम के बारे में भी ट्वीट किया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बार में टिप्पणी करने के लिए भी मेवानी को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में उन्हें जमानत मिलने के बाद गुजरात के इस विधायक को दोबारा 25 अप्रैल को कथित मारपीट मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। अपनी गिरफ्तारी को मेवानी ने राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया।
भाजपा-आरएसएस पर लगाया आरोप
पीएम के खिलाफ ट्वीट मामले में जमानत मिलने के बाद मेवानी ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, 'यह भाजपा एवं आरएसएस की साजिश है। इन्होंने मेरी छवि खराब करने के लिए यह सब किया है। ये काफी तैयारी से मेरे खिलाफ लगे हुए हैं। इन्होंने रोहित वेमुला, चंद्रशेखर आजाद के साथ ऐसा किया। अब ये मुझे निशाना बना रहे हैं।'
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कोर्ट ने गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रखा
इससे पहले गुरुवार को बारपेटा जिले की अदालत ने एक महिला पुलिस अधिकारी से कथित मारपीट के सिलसिले में मेवानी की जमानत अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।मेवानी के वकील अंगशुमान बोरा ने कहा कि जिला और सत्र अदालत ने मेवानी की जमानत अर्जी पर अपना आदेश शुक्रवार तक सुरक्षित रखा है। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने स्थगन आदेश प्राप्त करने का प्रयास किया लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया और उन्हें आज ही दलीलें रखने को कहा।
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गुजरात से गिरफ्तार हुए मेवानी
असम पुलिस के एक दल ने पिछले सप्ताह मेवानी को गुजरात से पकड़ा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक कथित ट्वीट को लेकर दर्ज मामले में निर्दलीय विधायक को गिरफ्तार किया था। इस ट्वीट में मेवानी ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘गोडसे को भगवान मानते’ हैं।
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