नई दिल्ली: कोरोना से लड़ाई में दुनिया के कई देश लगे हुए हैं लेकिन इसके इलाज में कारगर दवा की खोज अभी तक नहीं हो पाई है, फेवीपिरवीर (Favipiravir) दवा से कोरोना के इलाज की बात कही जा रही है इसी संभावना को देखते भारत में इस ड्रग के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिल गई है, CSIR के डीजी शेखर ने बताया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने फेवीपिरवीर दवा के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है।
बताया जा रहा है कि अगर ट्रायल कामयाब रहा तो कोरोना के इलाज का रास्ता खुल जाएगा और तमाम लोगों को इसका फायदा मिलेगा और सस्ते में दवा उपलब्ध हो पाएगी।
सीएसआईआर के डीजी ने फेवीपिरवीर को एक सुरक्षित दवा बताया है और उम्मीद जताई है कि इसका ट्रायल डेढ़ महीने में पूरा हो सकता है।
किस तरीके की है ये फेवीपिरवीर ड्रग
यह एक एंटीवायरल दवा है, जिसका इस्तेमाल चीन और जापान में इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए किया जाता रहा है, बताया जाता है कि जापान ने इबोला वायरस के प्रकोप का मुकाबला करने के लिए गिनी में आपातकालीन सहायता के रूप में फेवीपिरवीर दवा की आपूर्ति की थी वहीं अन्य संक्रमण में इसका उपयोग किया जा सके, इस पर अभी शोध जारी है।
यह दवा मुख्य रूप से जापान की फ्यूजीफिल्म समूह बनाती है और जापान ने पहली बार 2014 में इसे दवा के रूप में इस्तेमाल करने को मंजूरी दी थी साल 2016 में फ्यूजीफिल्म ने इसका लाइसेंस चीन की एक फार्मास्यूटिकल्स कंपनी को दिया और 2019 में यह एक जेनेरिक मेडिसिन बन गई।
कोरोना के इलाज में दवा को लेकर इजरायल का दावा
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री नेफताली बेनेट ने कहा था कि देश के रक्षा जैविक अनुसंधान को कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने कोविड-19 का एंटीबॉडी तैयार कर लिया है, जिससे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में मदद मिलेगी।
संस्थान ने इससे जुड़ा पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और अब इसे पेटेंट कराने जा रहा है, जिसके बाद इसका बड़े पैमाने पर निर्माण होगा और दुनिया को जल्द ही कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने में मदद मिलेगी।
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन बनाने का काम प्रगति पर है। रक्षा के रक्षा मंत्री के मुताबिक उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना से मुकाबले के लिए जो एंटीबॉडी तैयार किया है, वह मरीज के शरीर के अंदर ही कोरोना वायरस का खात्मा कर देता है। उन्होंने कहा, 'इस शानदार सफलता को लेकर मुझे इंस्टीट्यूट के स्टाफ पर गर्व है।' हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि इसका ट्रायल अब तक इंसानों पर किया गया है या नहीं।
यहां उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए दुनियाभर में वैक्सीन बनाने का काम चल रहा है। पिछले दिनों ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने इंसानों पर सबसे बड़ा ट्रायल करने की बात कही थी।
अमेरिका और चीन में भी इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, नार्वे, सऊदी अरब सहित दुनिया के कई देशों ने इस दिशा में अनुसंधान के लिए 8 अरब डॉलर का अनुदान देने की बात कही है। हालांकि इस पहल में अमेरिका शामिल नहीं है।
इटली ने दावा किया कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली
इटली के वैज्ञानिकों ने कहा उनकी वैक्सीन ने मानव कोशिका में मौजूद कोरोना वायरस को खत्म कर दिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दवा विकसित करने वाली फर्म ताकीस के सीईओ लुइगी औरिसिचियो का कहना है कि उनकी कोरोना वायरस वैक्सीन ने पहली बार मानव कोशिकाओं में वायरस को बेअसर कर दिया है।
अगर यह दावा वाकई सही निकला तो दुनिया के लिए यह बहुत बड़ी राहत की बात होगी। बता दें कि रोम की संक्रामक बीमारी से जुड़े स्पालनजानी अस्पताल में इस टीके का परीक्षण किया गया। बताया जा रहा है कि यह इंसानों पर भी असर होगा।
वैक्सीन का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों का इस्तेमाल किया था। सिंगल वैक्सीनेशन के बाद ही चूहों में एंटीबॉडी विकसित हो गए, जो मानव कोशिकाशों को प्रभावित करने वाले करोना वायरस को ब्लॉक कर सकता है।
उन्होंने आगे पाया कि पांच टीकों ने बड़ी संख्या में एंटीबॉडी उत्पन्न किए और इनमें से दो को सर्वश्रेष्ठ परिणामों के साथ चुना गया। इटली की समाचार एजेंसी एएनएसए ने औरिसिचियो के हवाले से कहा कि इस गर्मी के बाद इस वैक्सीन के मनुष्यों पर परीक्षण किए जाने की उम्मीद है।
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